महिला क्रिकेट की दमदार पहचान बन चुकी हरमनप्रीत कौर फेमिना की दिसंबर कवर स्टार बनी हैं। कवर पर उनकी वही ऊर्जा दिखाई देती है, जिसने भारतीय क्रिकेट को उसके सबसे यादगार जीतों में से एक तक पहुँचाया। इस कवर स्टोरी में उनकी यात्रा केवल एक खिलाड़ी की कहानी नहीं, बल्कि महिला क्रिकेट के उठान की भी कहानी है, उस समय से जब यह खेल मुश्किल से दिखता था, से लेकर आज तक जब स्टेडियम गूंजते हैं, छोटी लड़कियाँ अपने आइडल्स की एक झलक के लिए इंतजार करती हैं, और पूरा देश अपनी महिलाओं को खेलते हुए गर्व से देखता है।
हरमनप्रीत की यात्रा मेहनत, हिम्मत और सरलता का मिश्रण है, कच्चे मैदानों पर लंबे ट्रेनिंग सेशन, परिवार का भरोसा, और भारतीय खेल जगत का धीरे-धीरे महिलाओं की प्रतिभा को अपनाना, इन्हीं सबने उन्हें आज का हरमनप्रीत बनाया। यह फीचर उन्हें एक पथप्रदर्शक के तौर पर सामने लाता है, और उन पलों, चुनौतियों और फैसलों को भी दिखाता है जिन्होंने उनके करियर को आकार दिया।
वह उस ऐतिहासिक पल को याद करते हुए कहती हैं,
“जब आखिरी विकेट गिरा, सबसे पहले खुशी नहीं, खामोशी महसूस हुई। फिर गहरी राहत, और उसके बाद खुशी। लड़कियों को देखते ही लगा, आखिरकार… हमने कर दिखाया।”
अपने वायरल भांगड़ा मूव्स को याद करते हुए वह हंसते हुए कहती हैं,
“वो भांगड़ा बिल्कुल प्लान नहीं था। जब ट्रॉफी उठाई तो सब एक साथ दिमाग में आया और पैर अपने-आप चल पड़े। वो छोटा-सा डांस उस पल को सबसे अच्छे तरीके से बयान कर गया।”
उनके जर्सी नंबर #23 को लेकर अक्सर लोग किसी बड़े किस्से की उम्मीद करते हैं, लेकिन हरमनप्रीत साफ कहती हैं,
“सच में उसके पीछे कोई बड़ी कहानी नहीं है। मैं नंबरों को लेकर बहुत ज्यादा अंधविश्वासी नहीं हूँ। बस यह नंबर मुझे पसंद है और मैदान पर इससे कम्फर्ट मिलता है।”
महिला क्रिकेट के बदलते दौर पर बात करते हुए वह बताती हैं,
“2009 में महिलाओं का क्रिकेट लगभग गायब-सा था—कम स्टाफ, कम सुविधाएँ, और मैचों को देखने वाला भी कोई नहीं। आज माहौल पूरी तरह बदल चुका है। छोटी बच्चियाँ स्टेडियम के बाहर चीयर करती हैं, भीड़ आती है, और टीम का आत्मविश्वास पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।”
लेकिन वह मानती हैं कि यात्रा अभी बाकी है
“अभी भी बहुत कुछ करना है। सभी लड़कियों के लिए अच्छे ग्राउंड, कोचिंग, परिवार का सपोर्ट और मजबूत घरेलू क्रिकेट की जरूरत है। हम बहुत आगे आए हैं, लेकिन अभी लंबा रास्ता बाकी है, पर अब पूरा देश हमारे साथ खड़ा है।”
अंत में वह इस जीत के असली मायने बताती हैं:
“मैं चाहती हूँ कि यह जीत साबित करे कि महिला क्रिकेट और भारत की महिलाओं का खेल भी बड़े मंचों पर चमक सकता है। मैं चाहती हूँ कि छोटे शहरों की लड़कियाँ इसे देखें और सोचें'मैं भी कर सकती हूँ,' चाहे क्रिकेट में हो या किसी भी खेल में।”