बीसीसीआई क्यूरेटर चौहान ने पिच पर ज्यादा पानी डाला, देर से शुरू हुआ मैच
नई दिल्ली। बीसीसीआई के उत्तरी क्षेत्र के क्यूरेटर सुनील चौहान ने फिरोजशाह कोटला मैदान की पिच पर ज्यादा पानी डाला और प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए शनिवार को दिल्ली और मध्यप्रदेश के बीच रणजी मैच शुरू होने से पहले ही यहां से चले गए जिससे खेल ढाई घंटे विलंब से शुरू हुआ। मौसम अच्छा होने के बाद भी मैच दूसरे सत्र में शुरू हो सका जिससे हिमाचल प्रदेश के इस क्यूरेटर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दिल्ली ने अपने स्पिनरों विकास मिश्रा (6 विकेट) और शिवम शर्मा (3 विकेट) की शानदार गेंदबाजी से रणजी ट्रॉफी एलीट ग्रुप बी के शुरुआत दिन स्टंप तक मध्यप्रदेश के 132 रन तक 9 विकेट झटक लिए। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार पिचों को तैयार करने के लिए तटस्थ क्यूरेटर को भेजा जाता है ताकि घरेलू टीमें कोई फायदा न उठा सकें। क्यूरेटर को मैच के पहले दिन लंच तक रुकना होता है जिसके बाद स्थानीय क्यूरेटर जिम्मेदारी लेता है।
शनिवार को मैच रैफरी डेनियल मनोहर (हैदराबाद के पूर्व बल्लेबाज) और 2 अंपायरों वीरेंद्र शर्मा तथा संजय हजारे ने पाया कि पिच गीली थी और किसी भी परिस्थिति में खेल अपने निर्धारित समय सुबह 9.30 बजे शुरू नहीं किया जा सकता है। बाद में यह पता चला कि धर्मशाला के क्यूरेटर चौहान ने शुक्रवार की शाम को पिच पर पानी डाला था। डीडीसीए के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि सुनील चौहान के निर्देशों पर शुक्रवार की शाम को पिच पर पानी डाला गया। वे धर्मशाला से हैं और उत्तर भारत के मौसम के बारे में जानते हैं। पिच पर अपराह्न 4 बजे के आसपास पानी डाला गया।
बीसीसीआई नियमों के अनुसार जब मैच अधिकारी सुबह मैदान पर आए, तो चौहान को मैच रैफरी को मैदान सौंपने के लिए उपस्थित होना था लेकिन वे कहीं नहीं दिखे। अधिकारी ने कहा कि चौहान को पहले दिन लंच तक वहां रुकना था। सामान्य नियम के अनुसार स्थानीय क्यूरेटर के पदभार संभालने तक तटस्थ क्यूरेटर को रुकना होता है। उनके जाने के बाद हमारे क्यूरेटर अंकित दत्ता ने बाहरी ग्राउंड्समैन के साथ मिलकर मैदान को तैयार किया, क्योंकि नियमित ग्राउंड्समैन हड़ताल पर चले गए थे। इस मामले में चौहान की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
बीसीसीआई के महाप्रबंधक (क्रिकेट संचालन) सबा करीम ने स्वीकार किया कि इस स्थिति को टाला जा सकता है और उन्होंने चौहान से रिपोर्ट मांगी है। करीम ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि कोटला में शनिवार को जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था लेकिन मेरा मानना है कि कुछ मजबूरियों के कारण चौहान वहां से जल्दी चले गए होंगे। उन्होंने दिल्ली से सुबह 10 बजे उड़ान भरी। आमतौर पर उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया है इसलिए मैं यह मानना चाहूंगा कि इसके पीछे कोई कारण रहा होगा। हम पता करेंगे। (भाषा)