बृहस्पति यदि है आठवें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य
धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां आठवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : इसे श्मशान में बैठा साधु कहा गया है। मुसिबत के सब देवताओं का सहयोग। ऐसे व्यक्ति की सहायता के लिए देवता सदैव तत्पर रहते हैं। गुप्त विद्या को जानने का शौक होगा। दूसरे भाव में बृहस्पति के मित्र ग्रह बैठे हों तो जंगल में भी मंगल होगा। यदि बुध, शुक्र या राहू दूसरे, पांचवें, नौवें, ग्यारहवें या बारहवें भाव में हों तो जातक के पिता बीमार होंगे और स्वयं जातक को प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है।
5 सावधानियां :
1. धर्म और देवताओं का अपमान न करें।
2. वैराग्य के भाव से दूर रहें।
3. तंत्र-मंत्र, जादू-टोने से दूर रहें।
4. झूठ ना बोलें।
5. मांस और मदिरा का सेवन न करें।
क्या करें :
1. पीपल का पेड़ लगाएं।
2. गुरु या शनिवार का उपवास करें।
3. सोना धारण करें।
4. मंदिर में घी, आलू और कपूर दान करें।
5. राहु से संबंधित चीजें जैसे गेहूं, जौ, सत्तू, नारियल आदि पानी में बहाएं।