बैक्टीरिया की आत्मरक्षात्मक प्रणाली की खोज
वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया में मौजूद एक ऐसी आत्म रक्षात्मक प्रक्रिया के बारे में पता लगाया है जिससे आगे चलकर खतरनाक बैक्टीरिया समाप्त करने के लिए कारगर दवा ईजाद की जा सकती है। वाशिंगटन में यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह खोज की है। अध्ययन में पाया गया कि क्यों कुछ बैक्टीरिया पर दवा का असर नहीं होता। अध्ययन के मुताबिक जब बैक्टीरिया को मारने के लिए उसके शरीर में कोई बाहरी घातक चीज आक्रमण करती है तब बैक्टीरिया अपने शरीर से एक जहर निकालता है। इससे न सिर्फ बाहरी आक्रमणकारी दूर भाग जाता है बल्कि कई बार उसे मार भी देता है। यही कारण है कुछ स्थिति में दवा देने के बाद भी बैक्टीरिया नहीं मरता है। दिलचस्प बात यह है कि टॉक्सिन निकालने के बावजूद स्वयं बैक्टीरिया को कोई क्षति नहीं पहुँचती। शोधकर्ताओं ने आम तरह के बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस की कोशिकाओं से निकलने वाले टॉक्सिन और इसके एंटीटॉक्सिन की संरचना पूरी तरह खंगाल ली है। स्ट्रेप्टोकोकस एक ऐसा बैक्टीरिया है जिससे आमतौर गले की बीमारी होती है। खराब स्थिति में न्यूमेटिक फीवर हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि इस बैक्टीरिया में एंटीटॉक्सिन और टॉक्सिन का ऐसा मिश्रण होता है जिससे खुद पर टॉक्सिन का असर तो नहीं होने देता लेकिन बाहरी आक्रमणकारियों पर धावा बोल देता है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि स्टे्रप्टोकोकस में एंटीटॉक्सिन के रूप में विषनाशक भी मौजूद होता है। अगर एंटीटॉक्सिन नहीं हो तो बैक्टीरिया खुद मर जाएगा। शोधकर्ताओं का यह अध्ययन स्ट्रक्चर जर्नल के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है।