किसान दिवस पर हिन्दी कविता
माना गरीब हूं मैं बेटा किसान का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का
मेरे घर नहीं तिजोरी
कपड़े हैं एक जोड़ी
लेने को पेन-कॉपी
नहीं है फूटी-कौड़ी
कमजोर बना घर है टूटा हुआ छप्पर है
मजबूत चौखट प्रेम की पर लगी मेरे दर है
खजाना भरा है,
विचारों की शान का
मैं ही बनूंगा गौरव
भारत महान का
अभावों में मैं पला हूं भूख से भी मैं जला हूं
लेकिन ये पाई प्रेरणा सत्यपथ से न टला हूं।
न अंग्रेजी सीख पाया
न जीन्स-ट्राऊजर में मचलना
सीखा है मगर मैंने
सिद्धांतों पर चलना
बनूंगा मैं हिन्द का रखवाला आन का
मैं ही बनूंगा गौरव भारत महान का।
- संतोष गुप्ता, सुवासरा
साभार- देवपुत्र