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Hanumanji : हनुमान जी की सवारी क्या है?

hanuman sanjeevani booti
बालरूप में हनुमानजी सूर्य को फल समझकर सूर्य को निगलने के लिए वे उड़ चले थे। हनुमानजी के बालरूप को बालाजी कहते हैं। आपने देखा होगा कि हर देवी या देवता किसी न किसी की सवारी करने के बाद ही अकाश या धरती पर गमन करते हैं, जैसे लक्ष्मीजी उल्लू पर, विष्णुजी गरुढ़ पर, मां सरस्वती हंस पर, कार्तिकेय मयुर पर, माता दुर्गा शेर पर और इसी तरह सभी देवी देवताओं के पास अपनी अपनी सवारी है परंतु क्या आप जानते हैं कि हनुमानजी कौन से वाहन की सवारी करते हैं? नहीं जानते हैं तो आओ आज हम आपको बताते हैं।
 
खड्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशाङ्कुशसुपर्वतम् ।
मुष्टिद्रुमगदाभिन्दिपालज्ञानेन संयुतम् ॥ ८॥
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं यजामहे ।
प्रेतासनोपविष्टं तु सर्वाभरणभूषितम् ॥ ९॥
 
हनुमानजी का वाहन : 'हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र' के 72वें श्‍लोक में उन्हें 'वायुवाहन:' कहा गया। मतलब यह कि उनका वाहन वायु है। वे वायु पर सवार होकर अति प्रबल वेग से एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करते हैं। हनुमान जी ने एक बार श्रीराम और लक्ष्‍मण को अपने कंधे पर बैठाकर उड़ान भरा था। उसके बाद एक बार हनुमान जी ने बात-बात में द्रोणाचल पर्वत को उखाड़कर लंका ले गए और उसी रात को यथास्थान रख आए थे।
 
भूतों की सवारी : प्रचलित मान्यता और जनश्रुति के अनुसार यह भी कहा जाता है हनुमानजी भूतों की सवारी भी करते हैं। वे भूत प्रेत, ब्रह्म राक्षस के सिर पर पैर रख कर सवारी करते हैं। हालांकि यह मान्यताभर मानी गई है।
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