बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. जन्माष्टमी
  4. Janmashtami 2019 Shubh Muhurat

Janmashtami 2019 : 23 अगस्त को ऐसे मनाएं पौराणिक रीति से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

Janmashtami 2019 : 23 अगस्त को ऐसे मनाएं पौराणिक रीति से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी - Janmashtami 2019 Shubh Muhurat
23 अगस्त, शुक्रवार को देशभर में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव 'श्रीकृष्ण जन्माष्टमी' के रूप में मनाया जाएगा। हमारे सनातन धर्म में भगवान कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। वे 16 कलाओं से युक्त एकमात्र पूर्णावतार हैं।
 
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म जीव को मुक्ति व मोक्ष का भी संकेत प्रदान करता है। जिस प्रकार कंस के कारागार में जब भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ, तब सारे द्वारपालों को मूर्छा आ गई एवं वसुदेव और देवकी के बंधन स्वत: खुल गए, ठीक उसी प्रकार जब हमारे अंत:करणरूपी कारगार में भी श्रीकृष्ण का प्राकट्य होता है, तब हमारे षड्विकाररूपी द्वारपालों को मूर्छा आ जाती है और हमारे मोहमायारूपी बंधन कट जाते हैं।
 
23 अगस्त को ही क्यों मनाएं जन्माष्टमी?
 
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर अकसर विद्वानों में मतभेद रहता है, जो श्रद्धालुओं के मन में संशय उत्पन्न करता है। शास्त्रानुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में 12 बजे हुआ था, अत: जिस दिन ये सभी संयोग बने, उसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाना श्रेयस्कर है।
 
यहां उदयकालीन तिथि की मान्यता इसलिए नहीं है, क्योंकि जन्माष्टमी का पर्व रात्रिकालीन है अत: इस दिन रात्रिकालीन तिथि को ही ग्राह्य किया जाना उचित है।

23 अगस्त को अष्टमी तिथि का प्रारंभ प्रात:काल 8 बजकर 15 मिनट से होगा, जो 24 तारीख को 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र प्रात:काल 4 बजे से प्रारंभ होगा।
 
पंचांग की अहोरात्र गणनानुसार सूर्योदय से सूर्योदय तक 1 दिन माना गया है अत: 23 अगस्त को जन्माष्टमी के लिए आवश्यक रात्रिकालीन अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा, वहीं स्मार्त व वैष्णवों के भेद अनुसार भी समस्त स्मार्त (गृहस्थ) श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 23 अगस्त को ही मनाना श्रेयस्कर रहेगा।
 
कैसे मनाएं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी?
 
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने पूजाघर साफ-स्वच्छ करें, तत्पश्चात अपने पूजाघर को सजाएं व उसमें पालना (झूला) डालें। उसके बाद भगवान कृष्ण के विग्रह (मूर्ति) का षोडषोपचार पूजन करने के उपरांत केसर मिश्रित गौदुग्ध से 'पुरुष-सूक्त' के साथ अभिषेक करें, फिर भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री व तुलसी दल का भोग अर्पण करें और भगवान के विग्रह को रेशमी पीतांबर से आच्छादित कर (ढंक) दें।
 
रात्रि ठीक 12 बजे त्रिकरतल ध्वनि (3 बार ताली बजाकर) व शंख बजाकर भगवान का प्राकट्य करें एवं पुन: भगवान के विग्रह का पंचामृत आदि से षोडषोपचार पूजन करने उपरांत केसर मिश्रित गौदुग्ध से 'पुरुष-सूक्त' के साथ अभिषेक करें तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण को नवीन वस्त्र, मोरपंखी मुकुट, बांसुरी, अलंकार धारण कराकर पालने में पधराएं (बिठाएं) और माखन-मिश्री का भोग अर्पित करें, फिर भगवान कृष्ण की आरती करें।
 
अभिषेक के प्रसाद (दुग्ध) को कुटुंब व परिवार सहित यह मंत्र बोलकर ग्रहण करें-
 
'अकाल मृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्/
विष्णोत्पादोदकं पित्वा पुनर्जन्म ना भवेत्।'
 
इसके बाद प्रसाद वितरित कर भगवान को धीरे-धीरे झूला झुलाते हुए कृष्ण नाम का संकीर्तन करें।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
ये भी पढ़ें
गुरुवार के दिन ये 4 सरल उपाय करेंगे तो छप्परफाड़ बरसेगा धन, मिलेगी आर्थ‍िक तंगी से निजात