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Last Modified: गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (14:46 IST)

क्या जम्मू कश्मीर को मिलेगा पहला हिन्दू मुख्‍यमंत्री?

voting in jammu kashmir
Jammu kashmir elections 2024 : 2 दिन पहले समाप्त हुए तीन चरणों के मतदान के उपरांत खिचड़ी विधानसभा की संभावना के चलते भाजपा हिन्दू मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति को चलते हुए अन्य दलों को साथ मिलाने की बातें करने लगी है। हैरानी की बात यह है कि इसी रणनीति पर चलते हुए नेकां-कांग्रेस गठजोड़ भी ‘हिन्दू मुख्यमंत्री’ की चाल चलते हुए अन्य सहयोगी दलों को परिणामों से पहले गठबंधन को न्यौता देने लगे हैं।
 
प्रदेश के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो अब तक कभी भी हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बना है। अधिकांश समय राज्य की बागडोर कश्मीर क्षेत्र से आने वाले मुस्लिम नेताओं के हाथों में रही है। हालांकि 2002, 2008 और 2014 के चुनावों में अलग-अलग गठबंधनों ने सरकार बनाई, लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग नजर आ रहा है। भाजपा ने इस बार चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा है कि यदि पार्टी पूर्ण बहुमत से जीतती है तो मुख्यमंत्री जम्मू क्षेत्र से होगा, और यह भी संभव है कि वह एक हिंदू हो।
 
राजनीतिक पंडितों कि माने तो यदि कांग्रेस को जम्मू क्षेत्र में ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो संभावनाएं बन सकती हैं कि नेकां और कांग्रेस, दोनों मिलकर भाजपा को कमजोर करने के लिए किसी हिंदू नेता को मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन करें। 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू कश्मीर की कुल जनसंख्या में 68.8 परसेंट मुस्लिम और 28.8 प्रतिशत हिंदू हैं। ऐसे में, यदि हिंदू विधायकों की संख्या ज्यादा होती है, तो राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
 
यह सच है कि भाजपा का फोकस इस बार जम्मू संभाग की 43 विधानसभा सीटों पर रहा है। पार्टी ने इस क्षेत्र में विशेष रूप से अपनी ध्यान केंद्रित किया और अपने उम्मीदवारों को मजबूती से खड़ा किया था। पार्टी नेताओं का मानना है कि जम्मू की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करके वे प्रदेश में पूर्ण बहुमत हासिल कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो पहली बार जम्मू कश्मीर में हिंदू मुख्यमंत्री बनने की संभावना बन सकती है।
 
जम्मू उत्तर से उम्मीदवार और भाजपा के वरिष्ठ नेता शाम लाल शर्मा ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा कि यदि महाराष्ट्र में मुस्लिम मुख्यमंत्री बन सकता है, तो जम्मू कश्मीर को भी हिंदू डोगरा समुदाय से मुख्यमंत्री मिलना चाहिए। यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इस बार अपनी रणनीति में सफल होती है।
 
यह सच है कि जम्मू के लोगों के साथ हमेशा से भेदभाव होते आए हैं। ऐसे में, हिंदू मुख्यमंत्री बनने से जम्मू के हितों की रक्षा के दावे किए जा रहे हैं जिससे जम्मू की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ने कि संभावना है। भाजपा का कहना है कि यदि जम्मू क्षेत्र का कोई नेता मुख्यमंत्री बनता है, तो प्रदेश में संतुलन कायम होगा और विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
 
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को हटा दी थी। जिसके बाद सरकार ने परिसीमन आयोग कि गठन किया था। इससे पहले, जम्मू कश्मीर में 111 सीटें थीं, जिसमें 46 कश्मीर, 37 जम्मू और 4 लद्दाख के हिस्से में आती थीं, जबकि 24 सीटों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीरके लिए रखा गया था। इस बार जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा और 5 लोकसभा सीटें हैं। इनमें 43 सीटें जम्मू व 47 सीटें कश्मीर घाटी में हैं।
 
2002 के चुनाव में कांग्रेस, पीडीपी और अन्य छोटे दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी, जिसमें महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद संभाला। 2008 में त्रिशंकु परिणाम सामने आए और नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई। 2014 में भाजपा ने जम्मू में 25 सीटें हासिल की थीं और पीडीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई। हालांकि, अब स्थिति अलग है और भाजपा खुले तौर पर दावा कर रही है कि यदि उसे पूर्ण बहुमत मिलता है तो मुख्यमंत्री जम्मू से ही होगा।
 
8 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे और तभी यह साफ होगा कि क्या जम्मू कश्मीर को पहला हिंदू मुख्यमंत्री मिलेगा। क्या भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी या फिर कांग्रेस और नेकां का गठबंधन राज्य की राजनीति को एक नई दिशा देगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
Edited by : Nrapendra Gupta 
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