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Last Updated : सोमवार, 3 नवंबर 2025 (18:57 IST)

चीन में क्‍यों हो रही युवा वैज्ञानिकों की मौतें, आखिर 76 शोधकर्ताओं के साथ क्‍या हुआ?

Why are young scientists dying in China
चीन में लगातार वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की मौतें हो रही हैं। हालांकि इन मौतों के पीछे की वजह किसी को नहीं पता। रिपोर्ट की माने तो इस साल अब तक 76 शोधकर्ताओं की मौत हो चुकी है, इनमें 33 साल की वैज्ञानिक डोंग सिजिया भी शामिल हैं।

बता दें कि चीन में CSND प्लेटफॉर्म पर युवा वैज्ञानिकों की मौतों की इन घटनाओं की बात सामने आने पर चीन में इसे लेकर विवाद भी बढ़ गया है। इन मौतों के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं, हालांकि लोग काम के दबाव और शिक्षा प्रणाली को कारण मान रहे हैं।

बता दें कि इस साल अब तक 76 शोधकर्ताओं की मौत हुई है, जिनमें 33 साल की वैज्ञानिक डोंग सिजिया भी शामिल हैं। चीन में एक ऑनलाइन डेटाबेस के सामने आने के बाद यह जानकारी सामने आई है, जिससे बड़ा विवाद भी शुरू हो गया है। इस डेटाबेस में युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की मौतों की जानकारी दी गई है। यह लिस्ट CSND नाम के एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डाली गई थी, जो आमतौर पर कंप्यूटर प्रोग्रामर्स के लिए है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक 60 साल से कम उम्र के 76 शोधकर्ताओं की मौत हो चुकी है, पिछले साल 44 लोगों की मौत हुई थी।

33 साल की वैज्ञानिक की मौत : इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद लोगों में चिंता बढ़ गई है कि क्या चीन के शिक्षा और शोध क्षेत्र में कोई खतरनाक रुझान दिखाई दे रहा है। सबसे कम उम्र की मौत का मामला वैज्ञानिक डोंग सिजिया का है, जो नानजिंग यूनिवर्सिटी में समुद्र विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर थीं। उनकी उम्र सिर्फ 33 साल थी।

कहां से मिला इन मौतों का डेटा : इस डेटा को ग्वांगडोंग प्रांत के एक गुमनाम व्यक्ति ने तैयार किया है। उसका कहना है कि यह जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से ली गई है और इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, क्षेत्रीय असमानता दिखाना और सरकार को बेहतर नीतियां बनाने में मदद देना है। लेकिन इस डेटा ने बड़ी बहस छेड़ दी। बहुत से लोगों ने कहा कि यह तरीका संवेदनहीनता को दिखाता है।

लोगों ने उठाए डेटा पर सवाल : कुछ लोगों ने पूछा कि क्या ये डेटा सार्वजनिक करने से पहले वैज्ञानिकों के परिवारों की अनुमति ली गई थी। कई लोगों ने कहा कि डेटा पूरी तरह सही नहीं है, क्योंकि पिछले कई सालों के मामलों का रिकॉर्ड इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है। कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि सिर्फ युवा शिक्षकों और शोधकर्ताओं को क्यों गिना जा रहा है। यह भी बताना चाहिए कि उनकी मौत की दर अन्य पेशों (जैसे मजदूरों या ड्राइवरों) से ज्यादा है या नहीं।

क्‍या कहती पिछले साल की रिपोर्ट : दरअसल, मई 2024 में Preventive Medicine Reports जर्नल में एक स्टडी पब्लिश हुई थी, इमें कहा गया था कि अकादमिक क्षेत्र में आत्महत्याओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह घट रही है। अध्ययन में पाया गया कि ज़्यादातर युवा पुरुष वैज्ञानिक थे, जो साइंस और इंजीनियरिंग जैसे कठिन विषयों से जुड़े थे। इनमें से 65% मामलों में कारण काम का दबाव बताया गया।

क्‍या शिक्षा व्यवस्था है वजह : इससे चीन की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे हैं, खासकर अप या आउट सिस्टम पर। इसमें शोधकर्ताओं को 6 साल में टारगेट पूरा करना होता है, वरना उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। लगातार फंड की कमी, लंबा कामकाजी समय और मानसिक दबाव इन मौतों के पीछे माने जा रहे हैं। शंघाई की टोंगजी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर फैन शिउदी का कहना है कि मौतों के कारणों पर और शोध की जरूरत है। इनमें बीमारियां, दुर्घटनाएं या पारिवारिक समस्याएं भी शामिल हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ काम के दबाव को दोष देना आसान है, लेकिन इससे समस्या का असली समाधान नहीं होगा।
Edited By: Navin Rangiyal
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