रोहिंग्या मुस्लिमों को इसलिए अपना नागरिक नहीं मानता म्यांमार
यांगून। म्यांमार की सेना का कहना है कि रोहिंग्या म्यांमार के मूल नागरिक नहीं हैं और मीडिया ने इन पर अत्याचार की बात को बहुत ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
म्यांमार सेना प्रमुख मिन अंग हलियांग ने अमेरिकी राजदूत स्कॉट मारसिएल के साथ मुलाकात में यह टिप्पणी की। सेना प्रमुख ने अमेरिकी राजदूत को बताया कि सेना ने इन पर कोई अत्याचार नहीं किए हैं और इस तरह की घटनाओं को बहुत गलत तरीके से प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है।
सेना प्रमुख ने इस मुलाकात की पूरी जानकारी अपने फेसबुक पेज पर देते हुए कहा कि रोहिंग्या को 'बंगाली' कहा जाता है और इस समस्या के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद की नीतियां ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल में इन लोगों को म्यांमार में शरण दी गई थी और जहां तक रिकॉर्ड का सवाल है तो ये लोग म्यांमार के मूल नागरिक भी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग म्यांमार के मूल नागरिक नहीं हैं और ब्रिटिश दस्तावेज में साफ तौर पर सिर्फ बंगाली ही कहा गया है तथा कहीं भी रोहिंग्या शब्द का वर्णन नहीं है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को कहा था कि म्यांमार के सुरक्षा बलों ने उत्तरी राखिने राज्य से लाखों रोहिंग्या लोगों को बर्बर तरीके से देश से बाहर निकाल दिया है, उनके घरों को आग लगा दी गई है और फसलें तबाह कर दी गई हैं। इन्हें वापस जाने से भी रोका जा रहा है।
इस रिपोर्ट में लगभग 65 रोहिंग्या लोगों हवाले से कहा गया कि उन पर अत्याचार की घटनाएं 25 अगस्त से पहले ही शुरू हो चुकी थीं और इस समुदाय के लोगों की हत्याएं की गई हैं तथा महिलाओं और बालिकाओं से बलात्कार किए गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने पिछले माह इन घटनाओं पर हैरत व्यक्त करते हुए कहा था कि म्यांमार से बहुत ही बर्बर और लगातार अभियान के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय का सफाया किया जा रहा है।
म्यांमार के सैन्य नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ यूरोपीय संघ और अमेरिका के खिलाफ लक्षित प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं। (वार्ता)