बर्लिन। आतंकवाद को आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मानवतावादी ताकतों को इस समस्या से मुकाबले के लिए एक साथ आना चाहिए। भारत और जर्मनी ने ऐसी ताकतों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का इरादा भी जाहिर किया जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं, उसका समर्थन करती हैं और उसे धन मुहैया कराती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के बीच हुई वार्ता में व्यापार, कौशल विकास, जलवायु परिवर्तन एवं साइबर सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा हुई। मर्केल के साथ वार्ता के बाद एक में मोदी ने कहा कि हमारे रिश्तों के विकास की गति तेज है, दिशा सकारात्मक है और मंजिल स्पष्ट है। जर्मनी भारत को हमेशा एक शक्तिशाली, तैयार और सक्षम साझेदार के रूप में पाएगा।
अपनी वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने साइबर राजनीति, विकास पहलों, सतत शहरी विकास, क्लस्टर प्रबंधकों का सतत विकास एवं कौशल विकास, डिजिटलीकरण के क्षेत्र में सहयोग, रेल सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग, व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा और भारत-जर्मन केंद्र पर लगातार सहयोग पर एक संयुक्त उद्देश्य घोषणा-पत्र सहित 12 समझौते या सहमति-पत्रों पर दस्तखत भी किए।
मोदी और मर्केल के बीच चौथे भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के बाद दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया। दोनों नेताओं ने आतंकवाद और चरमपंथ के खतरे और वैश्विक स्तर पर उनके फैलाव के बाबत अपनी साझा चिंता को रेखांकित करते हुए आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा की। संयुक्त बयान के मुताबिक वे उन सभी के खिलाफ कड़े कदम उठाने पर सहमत हुए जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, समर्थन करते हैं, धन मुहैया कराते हैं, ऐसी सुरक्षित पनाह देते हैं जिससे आतंकवादी समूहों एवं संगठनों को समर्थन मिलता है। भारत और जर्मनी ने आतंकवाद निरोधक संयुक्त कार्य समूह की नियमित बैठकों के जरिए इन चुनौतियों का मुकाबला करने में अपने करीबी सहयोग की तारीफ की।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को अंतिम रूप दिए जाने और उसे स्वीकार किए जाने का आह्वान भी किया। आतंकवाद का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बड़ी समस्या है और मानवता की सभी ताकतों को इस समस्या से मुकाबले के लिए साथ आना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच आर्थिक संबंधों में बड़ा उछाल देखा जा सकता है और एक परिणामोन्मुखी गति निर्मित होते देखी जा सकती है। मोदी ने कहा कि नई दिल्ली में हुए पिछले आईजीसी में हमने जर्मन कंपनियों के लिए फास्ट-ट्रैक प्रणाली बनाई थी ताकि वे भारत में निवेश कर सकें, इसने खासकर मध्यम दर्जे की उद्यम कंपनियों को लेकर काफी अच्छे नतीजे दिखाए हैं।
बहरहाल, मर्केल ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद साझेदार साबित हुआ है और दोनों पक्ष सहयोग गहरा बनाने में सक्षम हुए हैं। मोदी ने यूरोपीय संघ :ईयू: की एकता का आह्वान भी किया और कहा कि भारत जर्मनी के जरिए इस एकता को बढ़ाने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा ।
पिछले साल जून में ब्रेग्जिट वोट यानी ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के पक्ष में मतदान होने के बाद से इस आर्थिक समूह के भीतर अलगाववादी प्रवृतियों के खिलाफ लड़ती रहीं मर्केल को उस वक्त बड़ा हौसला मिला जब मोदी ने उनके ‘मजबूत नेतृत्व’ की तारीफ की।
मोदी ने कहा कि वैश्विक विकास के लिए ईयू की एकता, सक्रियता और अन्य देशों से मजबूत संबंध बेहद अहम हैं। हम चाहते हैं कि ईयू और मजबूत हो और भारत जर्मनी के माध्यम से इसमें एक सकारात्मक भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि यूरोप और पूरी दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है और उनसे मुकाबले के लिए, भारत का मानना है कि दुनिया को चांसलर मर्केल के मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी ‘एक-दूसरे के लिए बने हुए हैं।’उन्होंने कहा कि कौशल विकास सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र है। (भाषा)