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Last Modified: गुरुवार, 7 दिसंबर 2017 (00:12 IST)

यरुशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देंगे ट्रम्प

यरुशलम को इसराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देंगे ट्रम्प - Jerusalem, Israel,Trump
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यरुशलम को इसराइल  की राजधानी के तौर पर मान्यता देंगे। साथ ही वह विदेश मंत्रालय को आदेश देंगे कि अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानातंरित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए।


कई अरब देशों के नेताओं ने ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले से पहले से ही संवदेनशील पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की चेतावनी दी है। ट्रम्प ने 2016 में अपने चुनाव अभियान के दौरान इसका वादा किया था। अरब नेताओं ने चेताया कि इस फैसले से पश्चिम एशिया और दूसरी जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं।

लेकिन ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि ट्रम्प आज रात व्हाइट हाउस में यह महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे। ट्रम्प प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रपति कहेंगे कि अमेरिकी सरकार यरुशलम को इसराइल  की राजधानी के तौर पर मान्यता देती है। वह इसे ऐतिहासिक वास्तविकता को पहचान देने के तौर पर देखते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘यरुशलम प्राचीन काल से यहूदी लोगों की राजधानी रहा है और आज की वास्तविकता यह है कि यह शहर सरकार, महत्वपूर्ण मंत्रालयों, इसकी विधायिका, सुप्रीम कोर्ट का केंद्र है।’ एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह कदम उठाने के साथ ट्रम्प अपना एक प्रमुख चुनावी वादा पूरा करेंगे। पूर्व में राष्ट्रपति चुनाव के कई उम्मीदवार यह वादा कर चुके हैं।

अपने बयान में ट्रम्प तेल अवीव से अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए विदेश मंत्रालय को आदेश भी देंगे। हालांकि अधिकारी ने कहा कि इस कदम से इसराइल -फलीस्तीन के द्विराष्ट्र संबंधी समाधान पर असर पड़ने की संभावना नहीं है।

सऊदी अरब के शाह सलमान और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी ने ट्रम्प प्रशासन के इस फैसले को लेकर चेतावनी दी है। सलमान ने इसे एक ‘खतरनाक कदम’ बताते हुए आगाह किया कि इससे ‘दुनिया भर में मुस्लिमों की भावनाएं भड़केंगी’। वहीं सिसी ने कहा कि इससे स्थिति जटिल हो जाएगी और ‘पश्चिम एशिया में शांति की संभावनाएं खतरे में पड़ जाएंगी।’

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रम्प की योजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘गलत, अवैध, भड़काऊ और बेहद खतरनाक’ है। जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने कहा कि यरूशलम पूरे पश्चिम एशिया की स्थिरता के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

पोप फ्रांसिस ने भी इस कदम को लेकर ‘गंभीर चिंता’ जताई और संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुरूप शहर की यथास्थिति का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताने की अपील की। हालांकि यरूशलम में एक कार्यक्रम में शामिल हुए इसराइल  के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रम्प की घोषणा पर कोई टिप्पणी नहीं की।

उन्होंने ‘द यरूशलम पोस्ट’ अखबार द्वारा आयोजित एक राजनयिक सम्मेलन में 20 मिनट के अपने भाषण में इसकी जगह दुनियाभर के देशों के साथ इसराइल के सुरक्षा एवं आर्थिक संबंधों की बात की। (भाषा) 
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