जनक दीदी ने 27 नवंबर 1988 को श्री जेम्स (जिम्मी) मगिलिगन, ब्रिटिश बहाई पायनियर के साथ चंडीगढ़ में अपने माता-पिता के आशीर्वाद से शादी की थी। बरली डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट फॉर रूरल विमेन में 2011 तक डायरेक्टर-मैनेजर जनक-जिम्मी एक समर्पित, सस्टेनेबल जोड़ी ने हजारों ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षित कर सस्टेनेबल आत्मनिर्भर बनाया।
एक रोड एक्सीडेंट उपरांत 21 अप्रैल 2011 को अपने पति के निधन के बाद, जनक दीदी अपनी शादी की सालगिरह पर 27 नवंबर को 'सस्टेनेबल मैरिज' थीम के साथ मनाती हैं। इस कार्यशाला के सहभागी हर साल नए इच्छुक युवा और माता-पिता होते हैं।
दीदी की इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत के ऐसे ज़िम्मेदार नागरिक बने जो शादी कर पर्यावरण और परिवार को सस्टेनेबल बना सकें।
लगातार बढ़ते प्रदूषण और क्लाइमेट इमरजेंसी के खतरे को देखते हुए, जीरोवेस्ट और नॉन-बायोडिग्रेडेबल चीज़ों का इस्तेमाल किए बिना 'ज़ीरो वेस्ट शादी' करें ताकि स्वच्छ, स्वस्थ, प्रसन्न तथा सस्टेनेबल परिवार, गांव, शहर बनाने वाले लोगों की ज़्यादा से ज़्यादा सहभागिता बढ़ें।
जनक दीदी इस बात पर फ़ोकस करती है कि ज़िंदगी का उद्देश्य समझकर परस्पर प्रेम, विश्वास और सम्मान पर आधारित रिश्तों को बनाए रखकर सस्टेनेबल शादीशुदा ज़िंदगी का आनंद ले सकें। कार्यशाला में सस्टेनेबल शादी, ज़ीरो वेस्ट और सफल शादी के उदहारण डॉ: क्षमा पैठणकर, डॉ. यामिनी रमेश, डॉ. वैभव जैन, श्रीमती विद्यावती रावत और श्रीमती अंजलि रावत प्रस्तुत करेंगे।
परिवार समाज की पहली यूनिट है और इसकी नींव शादी पर टिकी है। इसीलिए सस्टेनेबल शादी और सस्टेनेबल शादीशुदा ज़िंदगी को अच्छे से बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। अगर शादी सस्टेनेबल तरीके से की जाती है तो यह सीधे तौर पर ज़मीनी स्तर से शुरू होकर सस्टेनेबल कम्युनिटी डेवलपमेंट में योगदान देगा।
- समीर शर्मा (ट्रस्टी/ सेक्रेटरी)