सायरन बजते ही 12 मिनट के लिए थम गया इंदौर, 'मॉक ड्रिल' के दौरान ब्लैकआउट की प्रैक्टिस
इंदौर में बुधवार को 'मॉक ड्रिल' के दौरान घड़ी ने जैसे ही शाम के 7:30 बजाए, लोगों ने 'ब्लैकआउट' के अभ्यास के तहत अपने घरों, प्रतिष्ठानों और वाहनों की बत्तियां बुझा दीं जिससे मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला यह शहर अगले 12 मिनट के लिए अंधेरे में डूबने कारण थम गया।
आपात स्थिति से निपटने की तैयारी के तहत स्थानीय प्रशासन ने शाम के 07:30 बजे 'ब्लैकआउट' का सायरन बजाया जिसके बाद लोगों ने बत्तियां बुझा दीं। शाम के 07:42 बजे दोबारा सायरन बजते ही लोगों ने बत्तियां फिर जला दीं।
चश्मदीदों ने बताया कि 'ब्लैकआउट' की 12 मिनट की अवधि के दौरान शहर के प्रमुख मार्गों पर लोगों ने अपनी गाड़ियां रोक कर बत्तियां बुझा दीं।
'ब्लैकआउट' के दौरान बड़ी तादाद में लोग शहर की हृदयस्थली राजबाड़ा पहुंच गए और उन्होंने 'भारत माता की जय' और "वन्दे मातरम" जैसे नारे लगाए।
इन लोगों में शामिल आराधना जौहर ने "पीटीआई-भाषा" से कहा,"मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट का कामयाब होना बताता है कि भारतीय नागरिक पूरी तरह एकजुट हैं और आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान को लेकर उनमें काफी गुस्सा है।"
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने 'ब्लैकआउट' के दौरान शहर के अलग-अलग स्थानों पर स्ट्रीट लाइट के रोशन रहने की शिकायत भी की। उन्होंने कहा कि प्रशासन को 'ब्लैकआउट' के दौरान ये स्ट्रीट लाइट बंद करानी चाहिए थी।
पूरे शहर में एक साथ एक जैसी आवाज में सायरन बजाने के लिए प्रशासन ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार सेवाप्रदाता बीएसएनएल के 12 टेलीफोन एक्सचेंज का उपयोग किया जहां 'ब्लैकआउट' के दौरान जनरेटर का इस्तेमाल करते हुए सायरन बजाए गए। अधिकारियों ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच नये और जटिल खतरे सामने आए हैं जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर में मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए थे।
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर प्रमुख पर्यटक स्थल बैसरन में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने हमला किया जिसमें 26 लोग मारे गए थे। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे। भाषा Edited by: Sudhir Sharma