हमें इस देश के एक-एक आदमी को आजाद करना है। देश की आजादी कुछ लोगों की खुशहाली से नहीं देखी जाती। देश की आजादी आम लोगों के रहन-सहन, आम लोगों को तरक्की का, बढ़ने का, क्या मौका मिलता है, आम लोगों को क्या तकलीफ और क्या आराम है, इन बातों से देखी जाती है। तो हम अभी आजादी के रास्ते पर हैं, यह न समझिए कि मंजिल पूरी हो गई। और वह मंजिल एक जिंदादिल देश के लिए जो आगे बढ़ती जाती है, अभी पूरी नहीं हुई।
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