हिन्दुत्व या हिन्दुइज्म को एक ऐसा धर्म माना गया है जो कि अपने आप में एक ऐसी जीवन शैली है जिसमें संसार की सारी अच्छाइयों का सार है। यह दुनिया का सबसे उदार जीवन दर्शन होने के साथ इतना अधिक पुराना है कि इसके शाश्वत होने की बात कही गई है। इस कारण से इसके प्रारंभ और समाप्ति के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। इसका हजारों वर्ष पुराना लिखित इतिहास यह बताने के लिए काफी है कि हमारे पूर्वजों ने जीवन से लेकर मृत्यु तक और इसके बाद पुनर्जन्म के बारे में आश्चर्यजनक जानकारी दी है।
हिन्दुत्व के अलावा अन्य भी कई ऐसे धर्म हैं जोकि मानते हैं कि मनुष्य का मृत्यु के बाद दूसरा जन्म होता है। उदाहरणतः बौद्ध धर्म भी यही मानता है। मिश्र के पुराने लोग तो इस अवधारणा में इतना विश्वास रखते थे कि वे अपने दिवंगत लोगों के स्मारक और शव के फिर से जीवित हो जाने की मान्यता में विश्वास रखते हुए ममीज बनाते थे।
हिन्दू मान्यता के अनुसार पुनर्जन्म से तात्पर्य आत्मा का एक जीव दूसरे जीव में प्रवेश करने से है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार पुनर्जन्म के सबसे अच्छा उदाहरण भगवान विष्णु के अवतार हैं। उन्होंने पृथ्वी से बुराई मिटाने के लिए कई बार मनुष्य का अवतार लिया। इसी प्रकार हम अन्य देवताओं के भी पुनर्जन्म के बारे में सुनते हैं।
लेकिन इस पूर्वजन्म के सिद्धांत में कितनी सच्चाई है? पूर्वजन्म के बारे में कई आश्चर्यजनक तथ्य हैं जो कि हमें जानना चाहिए। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आत्मा कभी नहीं मरती है। इंसान की मृत्यु के बाद भी आत्मा जीवित रहती है और आत्मा इस तरह शरीर बदलती है जैसे हम कपड़े बदलते हैं। नए जन्म में हमें किस जीव का शरीर मिलेगा यह आपके पिछले जन्म के अच्छे और बुरे कर्मों पर निर्भर करता है। यदि कोई अच्छे कर्म करता है तो उसे फिर से मनुष्य जन्म मिलेगा। और यदि किसी के कर्म बुरे हैं तो अपने कर्म के अनुसार वह दूसरा शरीर प्राप्त करेगा।
इस बारे में अन्य आश्चर्यजनक तथ्य भी हैं
* अधिकतर बार मनुष्य, मनुष्य के रूप में जन्म लेता है, लेकिन कई बार वह पशु रूप में भी जन्म लेता है जो कि उसके पिछले जन्मों के कर्मों पर निर्भर करता है।
* यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरी किए बिना मर जाता है तो वह भूत बन जाता है। उसकी आत्मा संसार में तब तक भटकती रहती है, वह तब तक दूसरा जन्म नहीं लेती है जब तक कि उसकी चाह पूरी ना हो जाए।
* हिन्दू मानते हैं कि केवल यह शरीर ही नश्वर है जो कि मरणोपरांत नष्ट हो जाता है। शायद इसीलिए मृत्यु क्रिया के अंतर्गत सिर पर मारकर उसे तोड़ दिया जाता है जिससे कि व्यक्ति इस जन्म की सारी बातें भूल जाए और अगले जन्म में इस जन्म की बातें उसे याद ना रहें। ग्रंथों में कहा गया है कि आत्मा बहुत ऊंचाई पर आकाश में चली जाती है जोकि मनुष्य की पहुंच से बाहर है और यह नए शरीर में ही प्रवेश करती है।
* यह जानना आश्चर्यजनक है कि इंसान सात बार पुरुष या स्त्री बनकर यह शरीर धारण करता है और उसे यह अवसर मिलता है कि वह अच्छे या बुरे कर्मों द्वारा अपना अगला भाग्य लिखे।
* आपको यह भी जानना चाहिए कि आत्मा मृत्यु के तुरंत बाद नया जन्म नहीं लेती है। कुछ महीनों या सालों के बाद जब स्थिति अनुकूल होती है तभी आत्मा नए शरीर में प्रवेश करती है।
* कुछ ऋषियों का कहना है कि पूर्वजन्म के समय हमारे दिमाग में सारी बातें रहती हैं। लेकिन कुछ लोग ही इसे याद रख पाते हैं। इसका मतलब है कि हमारे पूर्व जन्मों की बातें हमारे दिमाग में रिकॉर्ड रहती हैं लेकिन हम इन्हें कभी याद नहीं कर पाते हैं। ऐसा कर पाना केवल महाज जीवात्माओं के लिए ही संभव हो पाता है।
* हिन्दू मानते हैं कि मनुष्य के ललाट के बीच तीसरी आंख भी होती है लेकिन वह केवल तब खुलती है जब आत्मा, परमात्मा से मिल जाती है और ब्रह्म बन जाती है। उनका मानना है कि जब तक वह तीसरी आंख खुलती है और भगवत प्राप्ति होती है तब तक व्यक्ति सांसारिकता और विषय-वासना के बंधनों में बंधा रहता है।