क्यों भगवान शिव को प्रिय है बेलपत्र, क्या माता पार्वती के पसीने से हुई थी उत्पत्ति
How did belpatra originate: हिंदू धर्म में बेलपत्र का विशेष महत्व है। इसे भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। पूजा पाठ में भी बेलपत्र का विशेष महत्व है लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई? आइए जानते हैं इस पौराणिक कथा के बारे में। इस आलेख में हम आपको बता रहे हैं कैसे हुआ बेलपत्र का जन्म और क्यों भगवान शिव को यह इतना प्रिय है।
माता पार्वती के पसीने से हुआ बेलपत्र का जन्म
एक बार माता पार्वती कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और देवी-देवताओं के लिए भोजन बना रही थीं। भोजन बनाते समय माता पार्वती को बहुत पसीना आ रहा था। उस पसीने को माता पार्वती ने अपनी उंगलियों से पोछकर उसकी बूंदों को छटक दिया। माता पार्वती के पसीने की ये बूंदें मंदर पर्वत पर जाकर गिरीं और इन बूंदों से ही बेलपत्र के पेड़ की उत्पत्ति हुई।
क्यों भगवान शिव को प्रिय है बेलपत्र?
बेलपत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है। इसके पीछे कई कारण हैं:
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माता पार्वती का संबंध: बेलपत्र की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई है, इसलिए यह भगवान शिव के लिए बेहद पवित्र है।
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हलाहल विष: जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पीया था, तब देवताओं ने उन्हें बेलपत्र खिलाकर विष के प्रभाव को कम किया था।
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माता लक्ष्मी का वास: मान्यता है कि माता लक्ष्मी का बेलपत्र की पत्तियों में वास होता है। चूंकि माता लक्ष्मी भगवान शिव की बहन हैं, इसलिए उन्हें भी बेलपत्र प्रिय है।
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बेलपत्र का धार्मिक महत्व
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शिव पूजा: बेलपत्र का उपयोग मुख्य रूप से शिव पूजा में किया जाता है। इसे शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
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औषधीय गुण: बेलपत्र में कई औषधीय गुण होते हैं। इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
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पवित्रता का प्रतीक: बेलपत्र को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
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