मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025
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Written By WD

कोना भर आसमान

काव्य-संसार

काव्यसंसार
दीपाली पाटील
ND
मेरी खिड़की के कोने का आसमान
बुझा-बुझा सा रहता नहीं कभी,
इन्द्रधनुष सा रंग बदलता है,
सिर्फ एक तस्वीर नहीं,
अक्सर बतियाता है चाँदनी के साथ,
पंछियों संग गाता है,
क्षितिज केवल मृगतृष्णा नहीं
धरती को समझाता है,
आशाओं की बदरी बन बरसता है
जब कभी मुरझाता है मन
मेरी ‍खिड़की के कोने को दे जाता है
थोड़े स्वप्न थोड़ा अपनापन।