मंगलवार, 31 दिसंबर 2024
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  4. Will Rahul become king or kingmaker? Speculation about Gandhi future intensified

राहुल किंग बनेंगे या किंगमेकर? गांधी के भविष्‍य को लेकर अटकलें तेज

Rahul Gandhi
राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से 2 साल की सजा के फैसले के बाद उनकी सांसदी चली गई। उन्‍हें अयोग्‍य ठहराकर लोकसभा सदस्‍यता खत्‍म कर दी गई। राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने 2019 के मानहानि के एक मामले में सजा सुनाए जाने के मद्देनजर शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया था।

पीएम नरेंद्र मोदी के ‘सरनेम’ को लेकर उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले के बाद राहुल गांधी पर यह कार्रवाई की गई है। राहुल गांधी ने कहा था... ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्‍यों होता है’

इस ‘हाई वॉल्‍टेज पॉलिटिकल ड्रामा’ के बीच कांग्रेस और भाजपा बेहद बेदर्दी के साथ आमने-सामने आ गई हैं। दूसरी तरफ विपक्ष के सारे दलों का स्‍वर एकजुट नजर आ रहा है। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव ने एक सिरे से राहुल के पक्ष में और सरकार के खिलाफ अपनी- अपनी टिप्‍पणियां की हैं। कहा जा रहा है कि बड़े-बड़े मुद्दे जो काम नहीं कर सके, वो काम राहुल गांधी की सांसदी के जाने से हो गया है। कांग्रेस से लेकर आप, TMC और सपा की दूरियां कम हुईं हैं। 2024 के महासंग्राम से पहले विपक्षी एकता का धुंधला सा दृश्‍य नजर आया है। क्‍योंकि तमाम बड़े नेताओं ने राहुल पर कार्रवाई और कोर्ट के फ़ैसले की निंदा की है।

बहरहाल, इस बीच सबसे बड़ी बहस और सवाल उभरकर सामने आया है कि अब राहुल गांधी की राजनीतिक राह और उनका राजनीतिक भविष्‍य क्‍या होगा। क्‍या वे चुनावी राजनीति से दूर रहकर संगठन में 'किंगमेकर' की भूमिका में आएंगे या उनके दिमाग में कुछ ओर चल रहा है।

सोनिया क्‍यों नहीं चाहती थीं राजनीति में आना : राहुल गांधी की राजनीति को समझने के लिए हमें थोड़ा-सा गांधी परिवार की बहू ‘सोनिया गांधी के काल’ में जाना होगा। दरअसल, सोनिया गांधी कभी नहीं चाहती थीं कि राजीव गांधी राजनीति में रहें। अपने बच्‍चों राहुल-प्रियंका को भी वे राजनीति से दूर ही रखना चाहती थीं, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद ऐसी परिस्‍थितियां बनीं कि राजीव गांधी को राजनीति में आना पड़ा। इसी तरह राजीव की हत्या के बाद कांग्रेसियों के आग्रह पर सोनिया को भी मजबूरन राजनीति में आना पड़ा। हालांकि सत्‍ता में न रहते हुए भी सोनिया गांधी कांग्रेस में सबसे बड़ी और ताकतवर नेता बनीं रहीं। इसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री को देखें तो इसके पीछे भी कोई बहुत ठोस वजह नजर नहीं आती। चूंकि कांग्रेस में गांधी परिवार सबसे बड़ा परिवार है और पार्टी की पूरी लाइन गांधी परिवार को फॉलो करती है तो जाहिर है कि राहुल गांधी ही पार्टी के सर्वेसर्वा होंगे, यह तय था। यही वजह है कि बगैर किसी बड़े पॉलिटिकल अचीवमेंट के आज राहुल गांधी कांग्रेस के बड़े नेता हैं। मोदी और अडानी विरोधी राजनीति ने राहुल को अपनी पार्टी में बड़ा नेता बना दिया। इसके साथ दूसरी वजह यह है कि कांग्रेस के पास राहुल के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प भी नहीं है जो राहुल को 'बायपास' कर सके।

क्‍या ये है राहुल का नया प्‍लान : जिस राहुल गांधी पर राजनीतिक अनुभवहीनता के आरोप लगते रहे हैं वो हाल ही में समय और अनुभव के साथ देश में विपक्ष के एक बड़े चेहरे के तौर पर उभरकर आए हैं। इस राजनीतिक उभार को गति देने में भारत जोड़ो यात्रा ने भी बूस्टर डोज की तरह काम किया था। 2023 तक आते-आते राहुल गांधी के पास राजनीतिक परिपक्‍वता आने लगी और वे यह जान गए थे कि सत्‍ता में रहे बगैर भी सत्‍ता संचालित करने वाले की भूमिका निभाई जा सकती है। उनकी इस सोच को दर्शाने वाला पहला कदम यह था कि भारी दबाव के बावजूद वे कांग्रेस अध्‍यक्ष नहीं बने और मल्‍लिकार्जुन खरगे को पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया। यह सिर्फ कांग्रेस अध्‍यक्ष के पद की बात नहीं है, बल्‍कि उन्‍हें पता है कि उनकी पार्टी उन्‍हें अपना सबसे बड़ा नेता मानती है और वे पार्टी में कोई कुर्सी हासिल किए बगैर भी उसे चला सकते हैं। फिर सत्‍ता में रहने के कई दुष्‍प्रभाव भी हैं। सत्‍ता में काबिज लोगों पर प्रकरण, जांच, सीबीआई, ईडी आदि के खतरे हमेशा मंडराते रहे हैं। हाल ही के दिनों में ऐसे उदाहरण देखे भी जा रहे हैं। तो ऐसे में क्‍यों न सत्‍ता से दूर रहे बगैर सबसे ताकतवर बना रहा जाए। अर्थात संप्रग शासनकाल में जिस भूमिका में सोनिया गांधी थीं, वे सत्ता मिलने पर उसी भूमिका में नजर आ सकते हैं।
शनिवार को अपनी प्रेसवार्ता में राहुल गांधी ने कहा भी है—‘मैं पार्लियामेंट में रहूं या न रहूं, मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैं अपना काम करता रहूंगा। अपनी आवाज उठाता रहूंगा’

कांग्रेस की राजनीति से रंगे हुए अखबार के पन्‍नों को देखें तो याद आएगा कि किसी दिन राहुल की मां सोनिया गांधी ने कहा था-- सत्‍ता जहर है।

बगैर सत्‍ता के बाल ठाकरे की राजनीति : राजनीति के इतिहास पर नजर डालें तो महाराष्‍ट्र में शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे सत्‍ता से बाहर रहकर महाराष्‍ट्र की सत्‍ता के सिरमौर बने रहे। कहीं न कहीं राहुल की वर्तमान की राजनीति ऐसा ही कुछ इशारा करती है। वे संगठन में रहकर किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं और बगैर किसी जांच और आरोप की आंच को महसूस किए राजनीति कर सकते हैं। हालांकि ऐसा लगता है कि भाजपा ने शायद राहुल के दिमाग को पहले से ही रीड कर लिया और उनकी राजनीति के संभावित कदम को भांपते हुए ऐसी चाल चली कि फिलहाल तो राहुल की सांसदी ही चली गई।

क्‍या किंगमेकर बनेंगे राहुल गांधी : अभी राहुल के पास कोई पद नहीं है। अध्‍यक्ष पद से भी राहुल दूर हैं। हाल ही में उन्‍होंने भारत जोड़ो यात्रा निकाली। इस यात्रा से कांग्रेस को अच्‍छा मोमेंटम भी मिला है। लेकिन क्‍या अब राहुल गांधी किंग मेकर की भूमिका में आना चाहते हैं। अगर ऐसा है तो सबसे पहले उनके सामने 2024 के लोकसभा चुनाव की चुनौती होगी, जिसके लिए उनके पास एक साल से ज़्यादा का समय है। हालांकि इससे पहले कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चारों राज्यों में कांग्रेस की टक्कर सीधे-सीधे भाजपा के साथ होगी। अगर राहुल सत्‍ता से दूर रहकर संगठन के स्‍तर पर धरातल पर काम करते हैं तो क्‍या और मजबूत होकर उठेंगे राहुल गांधी? इसके लिए उन्‍हें अपने ऊपर आई इस आपदा को अवसर में बदलना होगा। सवाल यह है कि क्‍या राहुल गांधी अपने खिलाफ खड़ी की गई इस ‘आपदा को अवसर’ में बदलने की कोशिश करेंगे। अभी वे लगातार मीडिया में बने हुए हैं। वे राजनीति के ‘हॉट केक’ हैं, ऐसे में बेहतर तरीके से अपनी बात देश के सामने रख सकते हैं, हालांकि अब उन्‍हें बयानबाजी और लगातार आरोप लगाने वाली राजनीति के अलावा कांग्रेस को ग्राउंड लेवल पर मजबूत और संगठित करना होगा। इसके लिए वे अपनी दादी इंदिरा गांधी के इमरजेंसी एपिसोड से सीख सकते हैं। वरिष्‍ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने एक बहस में टिप्‍पणी की है कि राहुल गांधी इस वक्‍त भाजपा के लिए खतरनाक हो गए हैं और जेल में बंद राहुल गांधी ज्‍यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। 30 दिनों बाद वे जेल से लड़ाई लड़ने वाले हैं। अब भाजपा सूरत के फैसले के बाद ज्‍यादा डरी हुई है। लेकिन देखना यह होगा कि कांग्रेस इसे कैसे लेती है। इस एपिसोड के बाद अब राहुल गांधी क्‍या करेंगे। उनके पास और कांग्रेस के पास क्‍या विकल्‍प हैं और वे क्‍या करने वाले हैं। ममता बनर्जी ने कहा था कि मोदी की सबसे बड़ी टीआरपी हैं, राहुल को ऊपर की अदालत में राहत नहीं मिली तो उन्‍हें जेल जाना पड़ेगा। ऐसे में सभी पार्टियों के लिए मैदान खुला है। अब कांग्रेस क्‍या करने वाली हैं। राहुल गांधी ने अपना काम कर दिया है। अब नई कांग्रेस के जन्‍म का मौका आ गया है देश के सामने।

क्‍या हुआ था इंदिरा गांधी के समय : 70 के दशक में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लाकर एक बड़ी राजनीतिक गलती की थी। बाद में जब उन्हें जेल भेज दिया गया तो उन्‍होंने इससे अपने लिए देशभर में सहानुभूति बटौर ली और सत्ता में वापसी की थी। शायद राहुल गांधी के लिए भी यह एक बहुत अच्‍छा राजनीतिक मौका है, जिसमें वे जेल जाकर अपना पॉलिटिकल वेटेज बढ़ा सकते हैं।

राहुल का गांधी होना भाजपा की मदद : इसके साथ ही राजनीतिक विश्‍लेषक मानते हैं कि भाजपा की प्रगति में राहुल गांधी एक मददगार चेहरा रहे हैं। परिवारवाद की राजनीति को लेकर कई बार राहुल पर हमले किए गए, ऐसे में राहुल के गांधी होने ने भाजपा को काफी मदद मिली है। अगर राहुल ठीक इसी समय में सत्‍ता से दूर रहकर किंगमेकर की भूमिका में आ जाएं और अपनी जगह कोई नया चेहरा ले आएं तो भाजपा के पास हमले के लिए कोई लक्ष्‍य नहीं बचेगा। हालांकि मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी अध्यक्ष बनाकर एक काम तो वे कर चुके हैं। क्योंकि विरोधी पार्टियों खासकर भाजपा के उनकी ओर आने वाले हमलों के तीर काफी हद तक कुंद हो चुके हैं।
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