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25 दिसंबर 2020 को है मोक्षदा एकादशी, जानिए व्रत रखने के 2 फायदे

Mokshada Ekadashi | 25 दिसंबर 2020 को है मोक्षदा एकादशी, जानिए व्रत रखने के 2 फायदे
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष में उत्पन्ना एवं शुक्‍लपक्ष में मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। 25 दिसंबर 2020 को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। जैसा कि इसके नाम से ही विदित है कि यह एकादशी का व्रत रखने का क्या फायदा है परंतु फिर भी जानिए कि मोक्षदा एकादशी का क्या है महत्व।
 
 
गीता जयंती प्रत्‍येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्‍लपक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं जो उत्पन्ना एकादशी के बाद आती है। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह 25 दिसंबर 2020 शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस साल गीता जयंती की 5157वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसीलिए इस दिन को मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती मनाई जाती है।
 
1. मोक्षदा एकादशी मोक्ष देने वाली होती है। विधिवत इसका व्रत रखने से देवता और पितर तृप्त होते हैं।
 
2. मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखकर गीता पाठ करना या श्रीकृष्ण की आराधना करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है और सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।
 
एकादशी तिथि प्रारंभ:- रात 11 बजकर 17 मिनट से (24 दिसंबर 2020)
एकादशी तिथि समाप्त:- अगले दिन रात 1 बजकर 54 मिनट तक (26 दिसंबर 2020)
 
 
1. गीता जयंती के दिन गीता को पढ़ना या सुनना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
 
2. इस दिन मोक्षदा एकादशी रहती है अत: व्रत करने का बहुत ही महत्व होता है। 
 
3. इस दिन भगवान कृष्ण की आराधना और पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं।
 
4. गीता जयंती के दिन मंदिरों में भी गीता का पाठ किया जाता है। आप चाहें तो वहां जाकर भी गीता सुन सकते हैं।
 
5. इस दिन गीता पाठ करने और मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।
 
 
महाभारत ग्रंथ का एक हिस्सा है गीता जिसके कुल 18 अध्याय है। जिनमें से 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्याय में भक्तियोग के उपदेश दिए गए हैं। इस साल गीता जयंती की 5157वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसका मतलब यह कि आज से 5157 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने इसी समय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था जिससे उसके ज्ञानचक्षु खुल गए थे। पुराणों के अनुसार गीता की उत्पत्ति कलयुग आरंभ होने से 30 वर्ष पहले हुई थी। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है।