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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 2 नवंबर 2024 (14:47 IST)

Bhai dooj: भाईदूज के दिन क्यों करते हैं चित्रगुप्त जी की पूजा?

Bhai dooj: भाईदूज के दिन क्यों करते हैं चित्रगुप्त जी की पूजा? - Chitragupta Pooja
Chitragupta Pooja 2024: दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और उसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का त्योहार होता है। 03 नवंबर 2024 रविवार के दिन भाई दूज यानी यम यम द्वितीया का त्योहार रहेगा। भगवान यमराज इसी दिन अपनी बहन यमुना के यहां गए थे और वहां उन्होंने भोजन करने के बाद अपनी बहन को आशीर्वाद दिया था। इसी कि याद में यह पर्व मनाते हैं। इस दिन यम और यमुना के साथ ही भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है।ALSO READ: Bhai Dooj 2024: भाई दूज कब है? जानें डेट, महत्व व तिलक करने का शुभ मुहूर्त
भाई दूज के दिन क्यों करते हैं चित्रगुप्त की पूजा?
1. कहते हैं कि इसी दिन से भगवान चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता। भगवान चित्रगुप्त की बही 'अग्रसन्धानी' में प्रत्येक जीव के पाप-पुण्य का हिसाब लिखा हुआ है।
 
2. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ था। उन्हें ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है।
पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त पूजा करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
 
3. चित्रगुप्त की पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
 
4. भैया दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। इससे विद्या की प्राप्ति होती है।
 
5. वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। जिससे कार्य में बरकत बनी रहती है। व्यापार में उन्नती बरकरार रहती है। 
 
चित्रगुप्त की पूजन विधि-
  • भगवान चित्रगुप्त की पूजा से पहले स्थान को साफ कर एक चौकी बनाएं।
  • उस पर एक कपड़ा बिछा कर चित्रगुप्त का चित्र रखें।
  • दीया जला कर गणपति जी को चंदन, हल्दी, रोली अक्षत, दूब, पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें।
  • फल, मिठाई और विशेष रूप से इस दिन के लिए बनाया गया विशेष पंचामृत (दूध, घी कुचला अदरक, गुड़ और गंगाजल) और पान सुपारी का भोग लगाएं।
  • परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम, दवात आदि की पूजा करें और चित्रगुप्त जी के सामने रखें।
  • सभी सदस्य एक सफेद कागज पर चावल का आटा, हल्दी, घी, पानी व रोली से स्वस्तिक बनाएं। 
  • उसके नीचे पांच देवी देवताओं के नाम लिखें, जैसे- श्री गणेश जी सहाय नमः, श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः, श्री सर्वदेवता सहाय नमः आदि।
  • - इसके नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दिनांक लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय व्यय का विवरण दें, इसके साथ ही अगले साल के लिए आवश्यक धन हेतु निवेदन करें। अब अपने हस्ताक्षर करें। और इसे पवित्र नदी में विसर्जित करें।
आज इस मंत्र से भगवान चित्रगुप्त की प्रार्थना की जाती है। 
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
 
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