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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विधानसभा और लोकसभा की छोड़ दी गईंं सीटें

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विधानसभा और लोकसभा की छोड़ दी गईंं सीटें - Jammu-Kashmir and Ladakh seats
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव 2021 में हो सकता है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने यानी पुनर्गठन के बाद विधान सभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन होगा। फिलहाल वहां पर जम्मू-कश्मीर जिला विकास परिषद (DDC Election result) चुनाव के नतीजे घोषित हुए हैं। कुल 280 सीटों पर आठ चरण में मतदान कराया गया था. 2178 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई है. धारा 370 हटने के बाद ये पहला चुनाव हुआ। अब आगे विधान सभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन होगा. नए पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट आने में 8 से 12 महीने लगेंगे. यानी अगले साल नवंबर तक रिपोर्ट आएगी. इस दौरान बर्फबारी का सीजन शुरू हो जाएगा. ऐसे में संभावना है कि 2021 में ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। ऐसे में अभी से ही जान लेते हैं कि वहां की विधानसभा सीटें का क्या हाल हैं।


लगभग आधे जम्मू, कश्मीर और लद्दाख पर आज भी पाकिस्तान का कब्जा है। भारत के इस उत्तरी राज्य के 3 क्षेत्र हैं- जम्मू, कश्मीर और लद्दाख। दुर्भाग्य से भारतीय राजनेताओं ने इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति समझे बगैर इसे एक राज्य घोषित कर दिया, क्योंकि ये तीनों ही क्षे‍त्र एक ही राजा के अधीन थे। राज्य को घोषित किए जाने के बाद इसका नाम जम्मू और कश्मीर रखा जिसमें लद्दाख को जम्मू का ही हिस्सा माना गया। परंतु पिछले साल अगस्त 2019 में भारत सरकार ने धारा 370 बहुमत से हटा दी।
 
 
गृ​हमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में प्रस्ताव किया कि जम्मू-कश्मीर में 370 में अब सिर्फ खंड 1 लागू रहेगा। सरकार ने राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया है। ये दो प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख होंगे। प्रस्तावित जम्मू और कश्मीर संघ शासित क्षेत्र को लोकसभा की पांच सीटें और लद्दाख क्षेत्र को एक सीट आवंटित की जाएगी।
 
लद्दाख : मतलब यह कि जम्मू और कश्मीर से लद्दाख अलग हो गया। लद्दाख के कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और कुछ हिस्सों चीन ने कब्जा कर रखा है। पहले लद्दाख में एक ही लोकसभा सीट होती थी। लद्दाख लोकसभा सीट के अंतर्गत चार विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें नुब्रा, कारगिल, जांस्कर और लेह शामिल हैं। परंतु अब गिलगित, वजारत, चिल्हास और जनजातीय क्षेत्र की सीटें भी होंगी। लद्धाख के मुख्‍यत: दो हिस्से हैं लेह और कारगिल। लेह क्षेत्र में ही पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित, वजारत, चिल्हास और 1947 का जनजातीय क्षेत्र है। इसके अलावा पाकिस्तान की ओर से चीन को दिए गए अक्साई चिन को शामिल किया गया है। माना जा रहा है कि क्षेत्रफल के हिसाब से लेह देश का सबसे बड़ा जिला होगा।
 
गिलगिट व बाल्टिस्तान को पहले पाकिस्तान में नॉर्दर्न एरिया कहा जाता था और इसका प्रशासन संघीय सरकार के तहत एक मंत्रालय चलाता था। लेकिन 2009 में पाकिस्तान की संघीय सरकार ने यहां एक स्वायत्त प्रांतीय व्यवस्था कायम कर दी जिसके तहत मुख्यमंत्री सरकार चलाता है। अब इलाके की अपनी असेंबली है जिसमें कुल निर्वाचित 24 सदस्य होते हैं। इस असेंबली के पास बहुत ही सीमित अधिकार हैं या कहें कि न के बराबर हैं। हाल ही में इमरान खान की सरकार ने इस हिस्से को पाकिस्तान का एक नया राज्य बनाने के पाक संसद में प्रस्ताव पारित करा लिया है।
 
जम्मू और कश्मीर : पाक के कब्जे वाले कश्मीर के मीरपुर, पंच, मुजफ्फराबाद जिले को जम्मू-कश्मीर में शामिल किया गया है। इन जिले को मिलाकर कुल जिलों की संख्‍या 23 मानी जाती थी। इन जिलों के नाम है- कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामूला, पुंछ, बडगाम, शोपियां, कुलगाम, पुलवामा, किश्तवाड़, उधमपुर, डोडा, सांबा, जम्मू, कठुआ, रामबन, राजौरी, अनंतनाग, श्रीनगर, रियासी और गांदरबल जिले हैं। 3 जिले पंच, मीरपुर और मुजफ्फराबाद पीओके में छुट जाते हैं। 1947 की अधिसूचना के अनुसार पहले जम्मू कश्मीर के 14 जिले थे, कठुआ, जम्मू, उधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुंछ, मीरपुर, मुजफ्फराबाद, लेह, लद्दाख, गिरगित, गिलगित वजरात, चिल्हास और जनजातीय क्षेत्र। 
 
परंतु अब स्थिति बदल गई है। 2019 तक आते-आते जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार ने 14 जिलों को पुनर्गठित कर 28 जिले बना दिए थे। कुपवाड़ा, बांदीपुर, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, सांबा और कारगिल नए जिले बनाए गए थे। लेकिन 5 अगस्त, 2019 को जब जम्मू-कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया, तो दो नए केंद्र शासित प्रदेश जुड़ गए और जम्मू-कश्मीर में 22 जिले शामिल किए गए हैं। ये हैं कठुआ, जम्मू, सांबा, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़, राजौरी, रियासी, रामबन, पुंछ, कुलगाम, शोपियां, श्रीनगर, अनंतनाग बडगान, पुलवामा, गांदरबल, बांदीपोरा, बारामूला, कुपवाड़ा, मीरपुर और मुजफ्फराबाद।
 
2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू-कश्मीर (लद्दाख को मिलाकर) की जनसंख्या 1 करोड़ 25 लाख 41 हजार 302 है, लेकिन लद्दाख के अलग होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या 1 करोड़ 22 लाख 67 हजार 13 हो जाएगी। जम्मू-कश्मीर का क्षेत्रफल (लद्दाख को मिलाकर) 222,236 किलोमीटर स्क्वायर है, लेकिन लद्दाख को हटाकर अब जम्मू-कश्मीर का क्षेत्रफल 163,040 किलोमीटर स्क्वायर हो जाएगा। यह आंकड़े अनुमानित हैं।
 
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर (भारतीय कश्मीर से 3 गुना बड़ा) है। पीओके की सीमा पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनवाला से, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान के वखन कॉरिडोर, उत्तर में चीन के जिंगजियांग ऑटोनॉमस रीजन और पूर्व में जम्मू-कश्मीर और चीन से मिलती है। पीओके को प्रशासनिक तौर पर 2 हिस्सों- आजाद कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान में बांटा गया है।
 
पीओके का शासन मूलत: इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है। आजाद कश्मीर के नाम पर एक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है, जो इस्लामाबाद का हुक्म मानता है। अनुमानित 49 सीटों वाली पीओके विधानसभा के लिए 1974 से ही पीओके में चुनाव कराए जा रहे हैं और वहां एक प्रधानमंत्री भी है। लेकिन पीओके या पाकिस्तान के बाहर इस दावे को मान्यता नहीं मिली है। पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है। पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर के तौर पर विश्व मंच पर पेश करता है, जबकि भारत इसे गुलाम कश्मीर कहता है। पाकिस्तान पर पीओके की निर्भरता भी किसी से छुपी हुई नहीं है।
 
अभी तक जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा सीटें थी, जिनमें 87 सीटें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की थी, जबकि, बाकी 24 सीटें PoK के नाम पर थी। अब जब जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आ गया है तो इस तरह से लद्दाख क्षेत्र के तहत आने वाली 4 विधानसभा सीटें हट जाएंगी, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में कुल 107 विधानसभा बची हैं, इनमें 24 सीटें PoK की शामिल हैं।
 
जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद विधानसभा और संसदीय सीटों का परिसीमन भी होगा। ऐसे में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में 7 विधानसभा सीटों का इजाफा होगा। इस तरह से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 114 सीटें होंगी। इनमें से पाक अधिकृत कश्मीर के हिस्से की 24 सीटें रिक्त रहेंगी और 90 सीटों पर चुनाव होंगे। हालांकि लद्दाख के हटने के बाद अभी जम्मू रीजन में 37 और कश्मीर क्षेत्र के तहत 46 सीटें बची हैं। ऐसे में परिसीमन के बाद बढ़ने वाली सात सीटें इसी इलाके की होंगी। जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 5 और लद्दाख में एक सीट होगी। 
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