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Last Updated : मंगलवार, 10 जुलाई 2018 (15:57 IST)

मुन्ना बजरंगी: ऑटो रिक्शा चलाने वाले से खतरनाक डॉन बनने का खूनी खेल, AK47 से भाजपा विधायक पर 400 गोलियां बरसाई थीं...

मुन्ना बजरंगी: AK 47 से भाजपा विधायक पर 400 गोलियां बरसाई थी... - Munna Bajrangi : How he become Dangerous Don
उत्तर प्रदेश में कम ही लोग होंगे जिन्होंने मुन्ना बजरंगी का नाम नहीं सुना होगा। नाबालिग उम्र से ही मुन्ना बजरंगी ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिए थे। कभी ऑटो रिक्शा चलाने वाला प्रेम प्रकाश सिंह ऊर्फ मुन्ना बजरंगी के खिलाफ जौनपुर के सुरेरी थाने में 1982 में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके हौसले इस कदर बुलंद थे कि मुकदमा लगने के महज 10 दिन बाद ही बजरंगी ने लूट की एक घटना कर डाली थी। 
 
मुन्ना बजरंगी 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर अच्छा इंसान बनाने की सोच रहे थे लेकिन पांचवीं के मुन्ना ने पढ़ाई जुर्म की दुनिया पकड़ ली। 
 
फिल्मों से प्रभावित मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था, 17 साल की उम्र में ही उसके खिलाफ जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। 
 
जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह के साए में मुन्ना ने 1984 में लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या से पूर्वांचल में मुन्ना ने अपना दबदबा कायम कर लिया।
 
इसी दौरान मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। 1996 में मुख्तार अंसारी के समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक बनते ही मुन्ना सरकारी ठेकों को बनाने-बिगाड़ने लगा था। 
 
पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली की प्रतिस्पर्धी बनते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय और मुख्तार गैंग के सबसे बड़े दुश्मन ब्रिजेश सिंह को निपटाने के लिए मुख्तार ने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को दी। 
 
29 नवंबर 2005 को मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया। लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई थी। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे। इस मामले पर पूरे देश में हलचल मच गई थी। 
 
पोस्टमार्टम से पता चला था कि हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस नृशंस हत्याकांड के बाद हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से कांपने लगा। भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई ने मुन्ना पर  सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। 
 
बचने के लिए मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की और एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश में उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो गए। 
 
मुन्ना बजरंगी के खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे दर्ज थे। 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। माना जाता है कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की थी। 
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