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जानिए क्या है डकवर्थ-लुईस नियम

जानिए क्या है डकवर्थ-लुईस नियम | what is Duckworth Lewis method
डकवर्थ लुईस नियम के कारण कई टीमों को खामियाज़ा भुगतना पड़ा है। आइए जानते हैं क्या है डकवर्थ-लुईस नियम और किस तरह इसमें गणना की जाती है।


क्रिकेट मैच के दौरान मौसम या अन्य कोई बाधा आने पर दूसरी पारी में खेलने वाली टीम के  लिए लक्ष्य निर्धारित करने हेतु डकवर्थ-लुईस नियम (D/L method) का उपयोग किया जाता है।

दो अंग्रेज सांख्यिकी विशेषज्ञों फ्रेंक डकवर्थ और टोनी लुईस द्वारा इजाद की गई इस प्रणाली को बेहद सटीक माना जाता है।

किसी भी निर्धारित ओवरों वाले मैच में इस नियम की गणना दोनों टीम के पास रन बनाने में  उपयोग होने वाले दो स्त्रोत विकेट और ओवर के आधार पर की जाती है।

जिन मैचों में काफी ओवर खेले जा चुके हों, उनमें दूसरी पारी में खेलने वाली टीम के लिए  लक्ष्य निर्धारित करना खेले गए ओवरों के हिसाब से रन कम करने जितना आसान नहीं है,  क्योंकि अगर किसी टीम के पास पूरे 10 विकेट और 25 ओवर बचे हों तो ऐसा माना जाता है  कि उस टीम के द्वारा रन बनाने की गति में बढ़ोत्तरी स्वत: ही हो जाएगी। उस स्थिति के  मुकाबले जब उनके पास पूरे 10 विकेट और 50 ओवर बचे हों।

डकवर्थ-लुईस नियम से दूसरी पारी में खेलने वाली टीम के लिए एक उचित लक्ष्य निर्धारित  किया जाता है, जिसमें पहली टीम द्वारा बनाए गए कुल रन, उनके गिरे हुए विकेट और कुल  खेले गए ओवरों का इस्तेमाल किया जाता है। गणना : डकवर्थ-लुईस नियम की गणना करते समय यह माना जाता है कि कोई भी टीम रन  बनाने के दो स्त्रोत ओवर और विकेट की उपलब्धता के आधार ही पर रन बना सकती है। मैच  के दौरान किसी भी समय यही दो आधार बनाए जाने वाले रनों का निर्धारण करते हैं।

डकवर्थ-लुईस प्रणाली विकसित किए जाने के दौरान क्रिकेट मैचों में बने स्कोर के इतिहास को खंगालने पर रन बनने के दोनों स्त्रोतों की उपल्ब्धता में गहरा संबंध पाया गया और इसी आधार पर इस प्रणाली को विकसित किया गया।  

किसी भी मैच के दौरान लक्ष्य निर्धारित करने के लिए बचे हुए ओवर या बिल्कुल सटीक लक्ष्य  के लिए बची हुई गेंदों और गिर चुके विकेट के आधार पर एक लक्ष्य दिया जाता है जिसे मैच  के दौरान उस स्थिति में बढ़ाया या घटाया जाता है अगर मैच को एक या ज्यादा बार बाधा आने  पर इस नियम को लगाकर लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता पड़ जाए।  इसके लिए दोनों  टीमों के दोनों स्त्रोतों का प्रतिशत निकाला जाता है जिसके उपयोग से दूसरी पारी में खेलने वाली  टीम के लिए बराबर लक्ष्य (par score) की गणना की जाती है।  

इस नियम के इस्तेमाल के बाद दूसरी टीम के लिए बनाए जाने वाले रनों की संख्या,जो  सामान्यतौर पर एक भिन्न संख्या (fractional number) होती है, प्राप्त होती है।  इस भिन्न  संख्या के करीबी बिना दशमलव वाली संख्या को लक्ष्य़ के तौर पर निर्धारित कर दिया जाता है।  अगर दूसरी पारी में खेलने वाली टीम इस लक्ष्य तक या उससे ज्यादा रन बना लेती है तो वह  जीत जाती है। अगर बने हुए रन निर्धारित लक्ष्य के बिल्कुल बराबर हो तो परिणाम टाई होता है  और कम रन बनने पर दूसरी पारी में खेलने वाली टीम हार जाती है।

यह नियम व्यवहारिक रूप से समझने में कठिन है। डकवर्थ लुईस की आलोचना करते हुए एक  क्रिकेट विशेषज्ञ ने कहा था कि डकवर्थ लुईस नियम को दुनिया में दो ही व्यक्तियों ने पूरी तरह  समझा है। पहले डकवर्थ और दूसरे लुईस।
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