बल्लेबाज हुए फ्लॉप, गेंदबाजों ने बचाई टीम इंडिया की लाज
साउथम्पटन। टीम इंडिया के गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान के खिलाफ 11 रनों से जीत दिलवाई। एक समय मैच कांटे की टक्कर का दिखाई दे रहा था। अफगानिस्तान के गेंदबाजों के आगे टीम इंडिया के बल्लेबाज पस्त दिखाई दिए और भारत ने 50 ओवरों में 8 विकेट पर 224 रन बनाए।
अब जिम्मेदारी गेंदबाजों पर थी, जो उन्होंने शानदार तरीके से निभाई, लेकिन अफगानिस्तान पर मिली यह जीत जश्न नहीं बल्कि मैनेजमेंट के लिए मंथन का विषय है कि अगर भारत के टॉप बल्लेबाज फेल हो जाते हैं तो टीम बड़ा स्कोर बनाने में पिछड़ जाती है। मोहम्मद शमी की जबरदस्त हैट्रिक और जसप्रीत बुमराह, युजवेंद्र चहल तथा हार्दिक पांड्या का बेहतरीन प्रदर्शन न होता तो मैच का परिणाम शायद कुछ और हो सकता था।
टॉस जीतने के बाद भारत ने बल्लेबाजी का फैसला किया। अफगानिस्तान के गेंदबाजों के आगे टीम इंडिया की बल्लेबाजी की कलई खुल गई। अफगानिस्तान के गेंदबाजों के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाज रन के लिए तरसते नजर आए। टीम इंडिया के बल्लेबाजों को स्पिन खेलने में माहिर माना जाता है, लेकिन राशिद खान ने अपनी कसी गेंदबाजी से सितारा बल्लेबाजों को बांधे रखा। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने एकतरफा संघर्ष किया और 63 गेंदों पर 67 रनों की अर्द्धशतकीय पारी खेली।
टीम इंडिया के बल्लेबाजी में वह चमक नजर नहीं आई, जो पिछले मैचों में नजर आई थी। पाकिस्तान के खिलाफ 140 रनों की शानदार पारी खेलने वाले रोहित शर्मा इस मैच में सिर्फ 1 रन पर आउट हो गए। लोकेश राहुल, विजय शंकर, महेन्द्र सिंह धोनी ने मैच में अपना विकेट थ्रो किया। लोकेश राहुल, विजय शंकर ने रिवर्स स्विप जैसे शॉट लगाते हुए अपने विकेट गंवाए, वहीं अगर धोनी की बात करें तो उन्होंने अपना विकेट थ्रो किया।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी भी अफगानी गेंदबाजों के आगे रनों के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दिए। धोनी ने 52 गेंदों पर सिर्फ 28 रन बनाए। धोनी राशिद खान की गेंद पर स्टम्प आउट हुए।
अफगानिस्तान के गेंदबाज पूरे मैच में टीम इंडिया के बल्लेबाजों पर हावी दिखाई दिए। रोहित शर्मा का विकेट गिरने के बाद टीम इंडिया शुरुआत में ही दबाव में आ गई। इससे रनों की गति भी नहीं बढ़ पाई और टीम इंडिया अफगानिस्तान को बड़ा लक्ष्य नहीं दे सकी।
टीम इंडिया के बल्लेबाजों में तालमेल की कमी भी नजर आई। विजय शंकर को चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतारा गया जबकि हार्दिक पांड्या को ऊपरी क्रम पर बल्लेबाजी के लिए भेजा जा सकता था। हार्दिक जब बल्लेबाजी करने आए तब 33 गेंदें ही शेष बची थीं।
अंत भला तो सब भला। टीम इंडिया ने मैच तो जीत लिया, लेकिन इस मैच में बल्लेबाजी के प्रदर्शन के बाद टीम मैनेजमेंट को अगले मैचों के लिए बल्लेबाजी क्रम पर भी विचार करना होगा।