Corona संकट के बीच पुलिसकर्मियों को धमका रहे हैं आतंकी
जम्मू। कोरोना संकट काल में अगर पाकिस्तान एलओसी और सीमाओं पर गोलाबारी और घुसपैठ के प्रयासों में तेजी लाकर भारतीय सेना के लिए परेशानी पैदा किए हुए है तो कश्मीर के भीतर उसके पिट्ठू आतंकी सुरक्षाबलों को खासकर पुलिसकर्मियों को निशाना बनाकर उन्हें दहशतजदा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में पुलिसवालों के लिए परेशानी का सबब यह है कि उन्हें दोहरे मोर्चे पर एक साथ जुझना पड़ रहा है।
कोरोना के फैलने के बाद आतंकी कश्मीर में 12 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर चुके हैं। इनमें 6 जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान भी शामिल हैं। चिंता का विषय आतंकियों की वह मुहिम भी है जिसके तहत उन्होंने एक बार फिर कश्मीर में पुलिसकर्मियों के घरों में दस्तक देकर उन्हें धमकाने का सिलसिला आरंभ किया है और उन्हें पुलिस की नौकरी न छोड़ने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही है।
सोमवार रात भी आतंकियों द्वारा पुलिसकर्मियों और स्पेशल पुलिस आफिसर (एसपीओ) को नौकरी छोड़ने की धमकी देने का मामला फिर सामने आया है। कुलगाम में आतंकियों ने एक एसपीओ को उसके घर में घुसकर पीट दिया और उसे व अन्य पुलिसकर्मियों को नौकरी छोड़ने की धमकी दी। कुलगाम के टेंगबल गांव में स्वचालित हथियारों से लैस आतंकी पुलिस के एसपीओ आदिल बशीर के घर में घुस गए और पिटाई कर दी।
आतंकियों ने घर में तोड़फोड़ भी की। उन्होंने धमकी दी कि वह पुलिस की नौकरी छोड़ दे। आतंकियों ने ऐसा ही अन्य पुलिसकर्मियों और एसपीओ को भी नौकरी छोड़ने की धमकी दी। इसके बाद वह फरार हो गए। जख्मी एसपीओ ने उच्च अधिकारियों को सूचित करते हुए निकटवर्ती पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने एसपीओ पर हमला करने वाले आतंकियों की धरपकड़ के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी करते हुए तलाशी अभियान चलाया है।
पुलिसकर्मियों के घरों मे घुसकर उन्हें धमकाने या फिर उनकी हत्याएं करने का सिलसिला कोई नया नहीं है कश्मीर में। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें आतंकियों के दलों ने पुलिस अफसरों के घरों में घुसकर, कभी उनकी मौजूदगी में कभी उनकी गैर मौजूदगी में, उन्हें तथा उनके परिवारों को धमकाया था। फिर बदले की कार्रवाई के तहत पुलिस ने भी कथित तौर पर कई आतंकी परिवारों को ‘धमकाया’ था।
इसी प्रकार कश्मीर पुलिस के जवान आतंकियों के निशाने पर हैं। पहले भी वे उनके निशाने पर थे। पर अब समस्या यह है कि कोरोना के संकट काल के कारण स्थानीय पुलिसकर्मियों को एकसाथ कई मोर्चो पर जूझना पड़ रहा है। इसमें दोनों ही मोर्चे बराबर के खतरनाक माने जा रहे हैं। वे न तो कोरोना के मोर्चे से मुख मोड़ सकते हैं और न ही आतंकियों के प्रति कोई ढील दे सकते हैं।