आखिर डॉक्टर कैसे कर रहे हैं ओमिक्रान वेरिएंट का इलाज?
ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण कोविड-19 की दुनिया भर में चौथी और भारत में तीसरी लहर आती दिख रही है। ऐसे में डॉक्टरों ने भी तेजी से बढ़ रहे संक्रमितों के इलाज के लिए कमर कस ली है।
इस बार ओमिक्रॉन वेरिएंट के पिछले डेल्टा वेरिएंट से कुछ हटकर हैं इसलिए इससे निपटने के लिए इलाज भी कुछ अलग तरह का है।
दो महीने पहले ही कोरोना वायरस के खिलाफ जंग खत्म होने की उम्मीद जग रही थी। पिछले महीने से ही ओमिक्रॉन वेरिएंट ने खलबली मचाना शुरू कर दिया। अब इसके कारण दुनिया भर के साथ भारत में भी कोविड-19 की नई लहर के आने के संकेत मिलने लगे हैं। दिल्ली और मुंबई में कोरोना संक्रमण मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा इसी ओर संकेत कर रहा है।
ओमिक्रॉन संक्रमण के लक्षण पिछले कोरोना वेरिएंट से कुछ अलग हैं इसलिए इसका इलाज भी अलग तरह से हो रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक दुनिया भर में मिल रहे ओमिक्रॉन मरीजों के जैसे लक्षण दिल्ली में भी मिल रहे हैं।
ओमिक्रॉन संक्रमित मरीजो में असिम्पटोमैटिक यानि अलाक्षणिक मरीजों की संख्या ज्यादा है।
इनमें गले में खराश, निचले स्तर का बुखार और शरीर के अंगों में दर्द जैसे लक्षण ही दिख रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इसके लिए मल्टीविटामिन और पैरासिटमॉल जैसी दवाओं से इलाज कर कर रहे हैं।
ओमिक्रॉन वेरिएंट के इस समय चल रहे इलाज के बारे में डॉक्टरों का कहना है, “हमें नहीं लगता है कि फिलाहाल मरीजों किसी दूसरी तरह की दवा को देनी की जरूरत है। ओमिक्रॉन के बारे में बताया जा रहा है कि यह वेरिएंट तेजी से फैलता जरूर है,लेकिन इसका प्रभाव डेल्टा वेरिएंट की तुलना में खतरनाक नहीं है।
ओमीक्रॉन सार्स कोव-2 का सबसे नया वेरिएंट है जो पिछले महीने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। इसके बारे में माना जाता है कि यह डेल्टा वेरिएंट से भी तेजी से फैलता है। इतना ही नहीं पिछले वेरिएंट के विपरीत इस संक्रमण में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाए बिना गले में पनपता है।
ओमिक्रॉन मरीजों को और दूसरे तरह के उपचारों की जरूरत नहीं होती है। जहां डेल्टा वेरिएंट सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता था और उससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती थी और उसे निमोनिया तक हो जाता था। ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमितों में इस तरह के लक्षण नहीं दिख रहे हैं।