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Written By Author मुस्तफा हुसैन

मध्यप्रदेश कांग्रेस में टिकटों को लेकर घमासान तेज, 'महाराज' की घेराबंदी

मध्यप्रदेश कांग्रेस में टिकटों को लेकर घमासान तेज, 'महाराज' की घेराबंदी - madhya pradesh assembly election 2018
विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में मजमा लगा है। रोज नई खबरें राजनीतिक हलको में हलचल मचा रही हैं। टिकटों को लेकर कांग्रेस में घमासान जारी है क्योंकि एक टीवी चैनल के सर्वे के बाद कांग्रेस को यह पक्का लग रहा है कि मध्यप्रदेश में उसकी सरकार बन रही हैं, जिसके चलते कांग्रेस में अंदर खाने सीएम पद को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। 
 
जानकारों की मानें तो दिल्ली में कमलनाथ, दिग्विजयसिंह ओर मीनाक्षी नटराजन में खास तालमेल बैठ गया है, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने दम पर टिकटों की लड़ाई लड़ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि तीनों बड़े नेताओं का जोर मालवा की 48 सीट पर 'महाराज' को टिकिट लेने से रोकना है।
 
 
चूंकि मालवा पूर्व में सिंधिया रियासत का हिस्सा रहा है और इस इलाके में सिंधिया का एकाधिकार माना जाता है। वहीं मालवा के इस हिस्से में कांग्रेस खुद को ताकतवर मानती है, जिसके चलते हो सकता है कांग्रेस में नेता आपस में पैक्ट करके अपने ज्यादा विधायक लाना चाहते हों ताकि जब कांग्रेस की सरकार बने तो सिंधिया को सीएम बनने से रोक जा सके।
 

लेकिन, मालवा के पिपलियामंडी और ग्वालियर चंबल इलाके में राहुल गांधी की सभाओं में जो जनसैलाब उमड़ा है, उससे महाराज सिंधिया के निश्चित तौर पर नम्बर बढ़े हैं और इनके इस बढ़ते कद के चलते भी कांग्रेस में घमासान संभव है।
 
 
सिंधिया की इस बढ़ती ताकत को देखते हुए लगता है कि मीनाक्षी नटराजन ने दो पाटीदार नेताओं सतनारायण पाटीदार जावद ओर त्रिलोक पाटीदार गरोठ के सिर पर हाथ रखा है ताकि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की मदद से इनको टिकिट दिलवाया जा सके। कांग्रेस नेता सत्यनारायण पाटीदार ने तो चार माह पहले जावद विधानसभा क्षेत्र में किसान सम्मलेन का आयोजन कर हार्दिक पटेल को बुलाया था।
 
गुजरात की तरह हार्दिक ने मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की मदद करने की ठानी है। वे कहते हैं कि चुनाव में ताकत से घूमूंगा ओर किसानों के हक की आवाज उठाऊंगा। पटेल के अलावा देश के बड़े दलित नेता गोपाल डेनवाल ने भी मालवा में अपना पांव फंसा रखा है। राजस्थान बेस्ड दलित नेता डेनवाल का मालवा में खासा आधार है और संभावना ये बताई जा रही है कि बसपा गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस एमपी व राजस्थान में डेनवाल को अपने साथ मिला लेगी।
 
इसको लेकर दलित नेता डेनवाल की कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ओर गुलाम नबी आजाद के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। यदि दलित नेता डेनवाल का कांग्रेस से तालमेल बैठा तो वे भी मालवा में टिकट की मांग कर सकते हैं। कुल मिलाकर जो हालात बने हैं उसमें कांग्रेस अक्टूबर के पहले पखवाड़े में टिकट का ऐलान कर सके, इसकी संभावना कम ही लगती है। 
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