chandrayaan-3 big update : चंद्रयान-3 को लेकर बड़ी खबर आ रही है। शनिवार शाम को चंद्रयान-3 को चांद के ऑर्बिट में पहुंच गया है। ISRO के अनुसार स्पेसक्राफ्ट की सेहत एकदम सही है। चंद्रयान-3 ने करीब 7 बजे चांद की कक्षा में प्रवेश किया।
इस प्रक्रिया को लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (LOI) कहते हैं। इससे पहले चंद्रयान-3 ने धरती की ऑर्बिट के 5 चक्कर लगाए थे। इसके जरिए स्पेसक्राफ्ट को धरती से दूर भेजा जा रहा था। बस अब 23 अगस्त का इंतजार है जब चंद्रयान-3 साउथ पोल पर लैंड करेगा।
भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 शनिवार को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ट्वीट में कहा कि आवश्यक प्रक्रिया यहां स्थित इसरो केंद्र से निर्देशित की गई।
इसने कहा कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स), आईएसटीआरएसी (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क), बेंगलुरु से इसे निर्देशित किया गया।
इसरो ने कहा कि अगला अभियान कार्य रविवार रात 11 बजे किया जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने उपग्रह से अपने केंद्रों को एक संदेश भी साझा किया, जिसमें कहा गया, एमओएक्स, आईएसटीआरएसी, यह चंद्रयान-3 है। मैं चंद्र गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं।
इसरो के सूत्रों के अनुसार, उपग्रह को चंद्रमा के करीब लाने के लिए चार और प्रक्रिया होंगी।
रविवार को कक्षा में शामिल करने की प्रक्रिया के बाद, 17 अगस्त तक तीन और प्रक्रिया होंगी जिसके बाद लैंडिंग मॉड्यूल, जिसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं, प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा।
इसके बाद, चंद्रमा पर अंतिम लैंडिंग से पहले लैंडर पर डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया होगी। इसरो के मुताबिक, यह 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।
चौदह जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से तीन हफ्तों में इसरो चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर चंद्रमा की कक्षा की तरफ उठाने का कार्य कर रहा था। इसके बाद एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया में यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया।
इस प्रक्रिया के बाद, चंद्रयान-3 ने पृथ्वी से दूर उस पथ पर जाना शुरू कर दिया जो इसे चंद्रमा के आसपास ले जाएगा।
साउथ पोल पर करेगा लैंड : चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। 23 अगस्त को यह चंद्रमा पर लैंड करेगा। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की रिचर्स करेंगे। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा। Edited By : Sudhir Sharma