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शाहरुख को छोटा दिलीप कुमार कहती थीं मां

शाहरुख खान
शाहरुख ने अनुकरण करने के लिए हमेशा अपने पिता का मुँह देखा। पर शरारत के बाद छुपने के लिए माँ की गोद में जाते थे। शाहरुख की अम्मी लतीफ फातिमा एक साहसी महिला थीं। समाज कार्य से कारोबार तक हर काम में उन्होंने अपने खाविंद का हाथ बँटाया। 
 
पढ़-लिखकर वे मजिस्ट्रेट बनीं। उनके जिम्मे निराश्रित बच्चों के पुनर्वास का मामला था। घर में बच्चों की परवरिश में उन्होंने कोई कसर नहीं रखी। अम्मीजान की शादी मशहूर क्रिकेटर अब्बास अली बेग से मुकर्रर हुई थी, पर उन्हें मीर साहब पसंद आए। निकाह के बाद उन्होंने गृहस्थी और व्यवसाय दोनों को बखूबी संभाला।
 
बड़े होते शाहरुख कुछ नए हुनर सीख रहे थे। एक हुनरमंद दोस्त ने उन्हें भारी-भरकम ताले खोलने की कला सिखाई। इस ताजातरीन ज्ञान को शाहरुख ने कुछ मौकों पर आजमाया भी। मगर सलाखों के खौफ ने उन्हें माँ की गोद का सुकून समझा दिया।
 
यह माँ ही थीं, जिन्होंने अपने बेटे के फिल्म स्टार बनने की तमन्ना की। पहले वे चाहती थीं कि उनका बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बने। अम्मीजान के वालिद साहब भी बंगलोर में इंजीनियर थे। विज्ञान में शाहरुख की कम दिलचस्पी देख उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। वे कुछ समय तक अपने साहबजादे के क्रिकेट खिलाड़ी बनने की हसरत भी पाले रहीं। करसन घावरी, नवाब पटौदी और अब्बास अली बेग उनके पसंदीदा क्रिकेटर थे।
 
मगर शाहरुख ने यहाँ भी निराश किया। सलीके से बल्ला थामना उन्हें टेढ़ी खीर लगता था। शाहरुख की किस्मत में एक्टिंग बदी थी और यही पेशा उन्होंने अपनाया। 
छोटे दिलीप कुमार
शाहरुख की माँ उन्हें हमेशा छोटा दिलीप कुमार कहती थीं। उनकी राय में वे नाक-नक्श और हाव-भाव में यूसुफ साहब की प्रतिकृति थे। शाहरुख को अपनी माँ के इस आकलन की सत्यता का अंदाजा तब हुआ जब दिलीप साहब की बेगम सायरा बानो ने कहा कि वे बिल्कुल उनके पति की तरह नजर आते हैं। सायरा का तो यह भी कहना था कि अगर उनके ‍और दिलीप साहब की कोई संतान होती, तो वह हूबहू शाहरुख जैसी दिखलाई देती। 
 
शाहरुख की अम्मीजान पर यूसुफ भाई की अदाकारी का जादू इस कदर हावी था, वे अपने बेटे को उन्हीं ‍की मिसालें देतीं। दिलीप कुमार की फिल्मों की चर्चा करना उन्हें पसंद था। एक दिन इसी उमंग में भरकर वे अपने साहबजादे को फिल्म निर्माताओं के पास ले गईं। यह दूसरा किस्सा है कि पहली नजर में हर तरफ से शाहरुख खाली हाथ लौटा दिए गए। 
 
हास्य अभिनेता मेहमूद के पुत्र मैक अली ने तो साफ कह दिया 'यह छोकरा फिल्मों में नहीं चलेगा। फेस नहीं है। यह तो कहीं से भी फोटोजनिक नहीं लगता।' मगर माँ ने जो सपना देखा था, बेटे ने उसे पूरा कर दिखाया। आज शाहरुख की सफलता को देखने वाली माँ नहीं है, पर शाहरुख को लगता है वे सितारा बनकर कहीं न कहीं आकाश में अपने बेटे की खुशी पर जरूर मुस्करा रही होंगी।