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Last Updated : बुधवार, 21 सितम्बर 2022 (11:33 IST)

राजू श्रीवास्तव : स्टैंड-अप कॉमेडी के सुपरस्टार

राजू श्रीवास्तव : स्टैंड-अप कॉमेडी के सुपरस्टार | comedy king raju srivastava died in aiims
राजू श्रीवास्तव उन युवाओं में शामिल थे जिन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को देख अभिनय और फिल्मों का शौक चढ़ा। जंजीर से जब अमिताभ बच्चन सुपरस्टार बने और एंग्री यंग मैन बन कर उन्होंने शोले, त्रिशूल, दीवार, मुकद्दर का सिकंदर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दी तब राजू को सत्य प्रकाश श्रीवास्तव नाम से जाना जाता था। वे उस समय युवा होने की दहलीज पर थे और उन पर भी अमिताभ बच्चन की खुमारी छा गई। वे अमिताभ की मिमिक्री करने लगे और कानपुर से माया नगरी मुंबई चले आए। राजू को अपने आप में बिग बी नजर आया और हेअर स्टाइल भी उन्होंने बिग बी जैसा ही करवा लिया।

 
राजू द्वारा की गई अमिताभ की मिमिक्री पसंद की जाती थी, लेकिन जल्दी ही राजू को समझ आ गया कि यह सब ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है। फिल्मों में उन्हें छोटे-मोटे रोल मिले। जैसे 'मैंने प्यार किया' (1989) में ट्रक क्लीनर तो 'बाज़ीगर' में कॉलेज स्टूडेंट। स्टेज शो पर एक-दो संवाद बोलने को मिले। कड़ा संघर्ष करना पड़ा और राजू को प्रतिभा के अनुरूप फिल्मों में काम नहीं मिला।
 
ऐसे में राजू श्रीवास्तव जैसे कलाकारों के लिए टेलीविजन वरदान साबित हुआ। यहां पर वे स्टैंड अप कॉमेडियन के रूप में छा गए। 'द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज' में सेकंड रनर-अप रहे और इसके बाद पीछे मुड़ कर उन्होंने नहीं देखा। इसका फायदा ये मिला कि उन्हें खूब प्राइवेट शो मिले।
 
मल्टीनेशनल और कॉरपोरेट ऑफिसों में काम का इतना तनाव होता है कि कर्मचारी हंसना भूल जाते हैं। ऐसे में इन कार्यालयों में राजू को बुलाया जाता था जहां पर वे अपने चुटकुलों से लोगों को हंसाते थे और काम के तनाव को थोड़ी देर के लिए भूला देते थे।
 
टीवी शो और प्राइवेट शो से राजू की गाड़ी चल निकली। जिसका ये फायदा भी हुआ कि वे बिग बॉस (2009) और नच बलिए (2013) जैसे रियलिटी शो में भी नजर आएं। इसके अलावा द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज (2005), कॉमेडी सर्कस (2007 से 2014), कॉमेडी का महामुकाबला (2011), राजू हाजिर हो (2008), कॉमेडी नाइट्स विद कपिल (2013-2016), गैंग्स ऑफ हंसीपुर (2014) और द कपिल शर्मा शो (2016) का हिस्सा बनें। राजू ने इन शोज़ के जरिये लोगों को खूब हंसाया।
 
राजू मध्यमवर्गीय परिवार से थे इसलिए मध्यमवर्गीय परिवार की सोच, संघर्ष, जिंदगी की कशमकश, आर्थिक तंगी से अच्छी तरह परिचित थे। ये सब बातें उनकी कॉमेडी में मसाला बन गई। वे कहते भी थे कि अपने संघर्ष के दिनों में मैंने बसों और रेलगाड़ियों में खूब सफर किया है। वहां पूरा भारत जमा होता है। मैंने लोगों को पढ़ना और सुनना छोड़ा नहीं है। शायद मेरा जमीन से जुड़े रहना ही उन्हें अच्छा लगता है।
 
शादियों की दावतें, रिश्तेदारों की हरकतें, दोस्तों की मस्ती, पत्नी का खौफ, एक तरफा प्यार, असफल प्रेमी, बेरोजगारी, मोहल्लों वालों के साथ मटरगश्ती के भाव राजू की कॉमेडी के स्थाई हिस्सा बन गए। हंसते-हंसाते वे मध्यवर्गीय परिवारों की करुण दास्तां भी पेश कर दिया करते थे और यही बात आम लोगों के दिलों को छूती थी।  
 
राजू ने नेताओं को भी नहीं छोड़ा। दाऊद और पाकिस्तान पर उन्होंने खूब मजे लिए। हद तो ये हो गई कि उन्हें पाकिस्तान से धमकाया जाने लगा कि दाऊद और पाकिस्तान पर चुटकुले बंद करो। ये राजू की लोकप्रियता का पैमाना था।
 
राजू की लोकप्रियता का यह आलम था कि समाजवादी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए राजू को कानपुर से टिकट दिया था। कुछ दिनों बाद राजू ने यह कह कर टिकट लौटा दिया कि उन्हें अपनी ही पार्टी से समर्थन नहीं मिल रहा है। इसके बाद वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
 
कॉमेडी में कई बार कॉमेडियन लाइन क्रॉस कर अश्लीलता की सीमा में पहुंच जाते हैं। राजू कई बार सीमा को छूते हुए बच निकले। वे खुद का ही मजाक उड़ा लिया करते थे। पिछले कुछ वर्षों में गिने-चुने स्टैंडअप कॉमेडियन उभरे जिनमें राजू प्रमुख थे। सोशल मीडिया पर भी राजू लोकप्रिय थे और उनकी क्लिप्स शेयर होती रहती थी। इस बहाने वे हमेशा चर्चा में बने रहते थे।
 
भारत में कलाकार और कॉमेडियन को अलग-अलग कैटेगरी का माना जाता है, जबकि कॉमेडियन भी कलाकार होता है। राजू का इस बात को लेकर कहना था कि मैं एक कलाकार हूँ, कॉमेडियन नहीं। हमारे यहाँ ऐसा माना जाता है जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है। वहां वे कॉमेडी को बतौर अभिनय की एक शाखा मानते हैं। राजू के अनुसार भारत में जिम कैरी जैसी लोकप्रियता हासिल नहीं की जा सकती क्योंकि कॉमेडियन्स और उनकी फिल्मों को भांडपना माना जाता है।
 
करोड़ों लोगों को हंसाने वाले राजू किसके मुरीद थे? इस पर वे जॉनी लीवर का नाम लेते थे जिनके साथ उन्होंने पांच सौ से ज्यादा शो किए। ये तब की बात है जब राजू लोकप्रिय चेहरा नहीं थे।
 
जिंदगी भर हंसाने वाले राजू ने 58 वर्ष की आयु में ही दुनिया को अलविदा कह कर सभी को रुला दिया। राजू श्रीवास्तव बीते करीब डेढू महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें जिम में एक्सरसाइज करते वक्त दिल का दौरा पड़ा था।