क्या 'छपाक' के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन फिल्म के बहिष्कार के कारण कम हैं?
दीपिका पादुकोण की 'छपाक' के विषय के बारे में सबको पता था, लेकिन फिल्म को लेकर ज्यादा चर्चा नहीं थी। या उतनी ही चर्चा थी जितनी की आमतौर पर इस तरह की फिल्मों की होती हैं। फिल्म से ज्यादा चर्चा तो जेएनयू में हो रही हंगामे को लेकर थी।
अचानक दीपिका पादुकोण जेएनयू के छात्रों से मिलती हैं तो छपाक की चर्चा शुरू हो जाती है। छपाक रिलीज नहीं होने वाली होती तो शायद ही दीपिका के नाम को लेकर इतनी गहमा-गहमी होती।
सोशल मीडिया पर छपाक को लेकर बातें होने लगती हैं। जेएनयू के छात्रों से दीपिका की मुलाकात कुछ लोगों को इतनी चुभ जाती है कि वे दीपिका की फिल्म छपाक के बॉयकॉट की बातें करने लगते हैं। उनका कहना है कि दीपिका की इस 'हरकत' के बाद छपाक फिल्म नहीं देखना चाहिए।
फिर एक और मैसेज वायरल होता है कि फिल्म का जो विलेन है उसका 'धर्म' बदल दिया गया है। बॉयकॉट की बातें और तेज होने लगती है। जब पता चलता है कि यह बात गलत है तो एक मैसेज चलने लगता है कि दबाव के कारण अंतिम समय नाम बदल दिया गया।
बॉयकॉट की बातें सुन कुछ लोग दीपिका के समर्थन में आ खड़े होते हैं। वे कहते हैं कि 'आई सपोर्ट दीपिका'। हम दीपिका की फिल्म जरूर देखेंगे।
निगाह छपाक के रिलीज होने वाले दिन पर आ टिकती है। छपाक रिलीज होती है और फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत कोई खास नहीं रहती है।
इससे बातें होने लगती हैं कि दीपिका की फिल्म का लोगों ने बहिष्कार किया है और इससे कलेक्शन कम हुए हैं। क्या ऐसा हुआ है?
इसका सटीक अनुमान लगाना तो मुश्किल है, लेकिन मोटी-मोटी बात की जा सकती है। मान लीजिए 10 प्रतिशत ऐसे लोग थे, जिन्होंने हंगामे के बाद फिल्म ना देखने का निर्णय लिया।
दूसरी ओर 10 प्रतिशत लोग ऐसे भी होंगे जो यह फिल्म नहीं देखना चाहते थे, लेकिन इस 'हंगामे' के बाद उन्होंने फिल्म देखने का फैसला ले लिया हो।
थोड़ा-बहुत प्रतिशत ऊपर-नीचे भी हुआ हो तो भी बात लगभग 'बराबरी' पर छूट गई। फिर कलेक्शन कम क्यों हैं?
इसे बॉक्स ऑफिस के नजरिये से समझना होगा। दरअसल 'छपाक' का विषय ऐसा है जिस पर बनी फिल्म देखना हर किसी के बस की बात नहीं है।
इस बात को मानना होगा कि भारत में आज भी उस दर्शक वर्ग का प्रतिशत बहुत ज्यादा है जो फिल्म में केवल मनोरंजन करने के लिए जाता है। ऐसे दर्शक 'छपाक' फिल्म से दूर ही रहते हैं।
फिल्म की थीम डिस्टर्ब करने वाली है। फिल्म देख कर आप हिल जाते हैं। सोच-विचार में पड़ जाते हैं। इस तरह की फिल्म सभी लोग पसंद नहीं करते। इसलिए ज्यादातर लोगों ने पहले से ही मन बना लिया था कि वे फिल्म से दूर रहेंगे।
फिल्म के पहले वीकेंड के बिज़नेस पर भी यदि गौर किया जाए तो फिल्म ने केवल मेट्रो सिटीज़ के प्रीमियम मल्टीप्लेक्स में ही अच्छा कलेक्शन किया है।
इस तरह के मल्टीप्लेक्स में खास किस्म का दर्शक वर्ग फिल्म देखने आता है और वही 'छपाक' जैसी फिल्म पसंद करता है। छोटे शहर, मंझले शहर, सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में इस तरह की फिल्मों को देखने वाले बहुत कम है।
लिहाजा 'छपाक' का बॉक्स ऑफिस पर बहिष्कार के कारण कम रहने वाली बात पूरी तरह से मेल नहीं खाती। वैसे भी छपाक जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस को ध्यान में रख कर नहीं बनाई जाती हैं।