अमिताभ बच्चन ने टीचर्स डे पर अपनी पोती आराध्या और नातिन नव्या नवेली नंदा को एक चिठ्ठी लिखी है।
प्रिय नव्या और आराध्या,
तुम्हारे कंधों पर तुम्हारे परदादाजी की मूल्यवान विरासत है। आराध्या के कंधों पर डॉ. हरिवंश राय बच्चन की और नव्या के कंधों पर परदादाजी श्री एचपी नंदा की। तुम्हारे परदादाजी ने तुम्हें सरनेम के साथ प्रसिद्धी, गरिमा और मान्यता दी है।
तुम दोनों नंदा या बच्चन हो, लेकिन साथ ही तुम लड़कियां हों... महिलाएं हों। चूंकि तुम स्त्री हो इसलिए लोग अपने विचार तुम पर थोपेंगे। तुम्हें अपनी सीमा रेखाएं बताएंगे। वे कहेंगे कि तुम्हारी ड्रेस किस तरह की होनी चाहिए, कैसे व्यवहार करना चाहिए, किससे मिलना चाहिए, कहां जाना चाहिए।
लोगों के निर्णय के अनुसार मत जियो। अपनी बुद्धिमत्ता और रूचि से अपने निर्णय लो। अपने स्कर्ट की लंबाई से अपने चरित्र को मापने का पैमाना मत बनने दो। किसी को यह हक मत दो कि वह कहे कि कौन तुम्हारा दोस्त हो। जिससे शादी करना चाहती हों उसी से करो। किसी अन्य कारण से किसी से शादी मत करो।
लोग आपके बारे में बातें करेंगे। कुछ बुरा भी बोलेंगे, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि तुम सभी की सुनो। 'लोग क्या कहेंगे'- इसकी चिंता कभी मत करो। आखिर में तुम्हें ही अपने किए गए कार्यों के परिणाम का सामना करना होगा, इसलिए लोगों को तुम्हारे लिए निर्णय मत लेने दो।
नाव्या, तुम्हारे सरनेम से जो विशेषाधिकार मिला है, वो तुम्हारी उन मुसीबतों से रक्षा नहीं कर पाएगा जिसका तुम्हें सामना करना होगा क्योंकि तुम स्त्री हो। आराध्या, जब तुम ये बातें समझोगी, तब शायद मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा, लेकिन मैं सोचता हूं कि ये बातें तब भी प्रासंगिक होंगी।
इस दुनिया में महिलाओं के लिए बहुत सारी कठिनाइयां हैं, लेकिन मेरा विश्वास है कि तुम जैसी स्त्रियां ही बदलाव ला सकती हैं। यह सरल नहीं है, अपनी सीमाएं बांधना, अपनी रूचि अनुसार कार्य करना, लोगों के निर्णय से उठकर काम करना, लेकिन तुम स्त्रियों के लिए एक उदाहरण पेश कर सकती हों।
ये सब करो और ये मेरे लिए सम्मान की बात होगी कि मैं अमिताभ बच्चन के रूप में नहीं बल्कि तुम्हारे 'दादा' या 'नाना' के रूप में पहचाना जाऊं।
तुम्हारा... दादा जी... तुम्हारा नाना।