- शुरैह नियाज़ी (भोपाल से)
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शादियों के ऐन वक़्त पर प्रशासन ने घोड़ियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसकी वजह से जहां एक तरफ़ शादी करने वालों को दिक्क़त हो रही है, वहीं घोड़ी के मालिकों को भी शादी के मौसम में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
प्रशासन ने यह क़दम घोड़ों में ग्लैंडर्स नामक बीमारी पाए जाने के बाद उठाया है ताकि इसे फैलने से रोका जा सकें। लेकिन ये फ़ैसला लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। भोपाल के काज़ी कैम्प इलाकें के रहमान बख़्श के घोड़े में यह बीमारी पाई गई है। इसके बाद से एहतियात के तौर पर प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा।
इस घोड़े के खून का सैम्पल हिसार के आईसीएआर-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर-एनआरसीई) में भेजा गया था, जहां वो पॉजिटिव पाया गया है। उसके बाद ही ये कदम उठाया गया है।
कौन सी है वो ख़तरनाक बीमारी?
ग्लैंडर्स को एक ख़तरनाक बीमारी बताया जाता है। यदि यह किसी घोड़े में हो जाए तो आमतौर पर घोड़े को मार ही दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के लोग बताते हैं कि मार देने से बीमारी के फैलने का ख़तरा नहीं होता। यह एक संक्रामक रोग है और तेज़ी से फैलता है।
इस बीमारी के होने पर घोड़े के शरीर में चकते हो जाते हैं और उसे बुख़ार आता रहता है। घोड़ा खाना पीना भी छोड़ देता है। यह बीमारी मनुष्य पर भी असर करती है, इसलिए इससे बचना ही बेहतर तरीका बताया जा रहा है।
इटारसी का तिवारी परिवार भोपाल में बेटे शुभम तिवारी की शादी के लिए आया हुआ है लेकिन इस आदेश के चलते उनके पास कोई और विकल्प नहीं रह जाता। अब कार के ज़रिए ही शुभम की बारात निकलेंगी।
शुभम के चाचा अनुराग इस आदेश को लेकर काफ़ी ख़फा नज़र आए। उन्होंने बताया, "हमारे हिंदू रीति रिवाज़ में लड़के की शादी घोड़ी पर बैठकर निकलती है। अब प्रशासन ने यह आदेश निकाल दिया है कि नगर निगम सीमा के अंदर किसी भी तरह से इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध होगा। अब हम जैसे आम लोगों के लिए कुछ भी नहीं रह जाता है।"
वो आगे कहते हैं, "भतीजे की शादी का इंतज़ार न सिर्फ़ मुझे बल्कि परिवार के सभी लोगों को बरसों से था। अब घोड़ी के बिना क्या बारात और शादी। करना यह चाहिए था कि प्रशासन ऐसे घोड़ों को चिन्हित करती जो किसी भी तरह से बीमार है और उन्हें बाहर कर देती ताकि बीमारी न फैले।"
सवाल आमदनी का
वहीं इस आदेश ने घोड़े मालिकों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी है। यह सीज़न शादी का है और अगर वो घोड़ी का इस्तेमाल नहीं करते तो उनकी आमदनी कैसे होगी। शहर में नफ़ीस भाई घोड़ियां उपलब्ध कराने वाले हैं। उनके पास 5 घोड़ियां है। लेकिन अब उन्हें इस बार घाटा नज़र आ रहा है।
उन्होंने बताया, "अभी तो हमें नुकसान नज़र आ रहा है। आगे देखते है कि क्या होता है। वैसे भी हमें इनके खानपान पर काफ़ी ख़र्च करना पड़ता है अब यह नुकसान होगा। हम इसमें कुछ कर भी नहीं सकतें।"
नगर निगम के पशु चिकित्सक डॉ. एसके श्रीवास्तव ने बताया, "यह फ़ैसला सभी के हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि बीमारी को बढ़ने से बचाया जा सकें। इस आदेश में घोड़ों के आवागमन, दौड़, मेले-प्रदर्शनी और जमा होने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।"
मई माह में शादी के 5 मूहर्त है जबकि जून में 10 दिन मूहर्त है। अब शादी वालों को इस दौरान दिक्क़तों का सामना करना पड़ेगा। वही कुछ का कहना है कि इस तरह से प्रतिबंध लगाना आसान नहीं है। आख़िर किस तरह से नगर निगम इस प्रतिबंध को अमल में लाएगी। अगर कोई दूल्हा घोड़ी पर बैठकर निकल रहा है तो क्या उसे उतारा जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता गुड्डू चौहान कहते हैं, "बिना किसी सोच समझ के यह फ़ैसला लिया गया है। आख़िर नगर निगम कैसे इसे अमल में लाएगा, यह सोचने वाली बात है।"