ऐसे काम करती है आतंकियों की स्लीपर सेल...!
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | गुरुवार,नवंबर 13,2025
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के महिदपुर जैसे छोटे से कस्बें में करीब तीन दशक पहले सैकड़ों ट्रकें होती थी। यहां घर घर ट्रक ...
भारत के बिना क्वाड का कोई भविष्य नहीं
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | शनिवार,नवंबर 8,2025
भारत में आयोजित होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन के आयोजन के रद्द होने या क्वाड से भारत के बाहर होने से भारत के दूरगामी ...
नेपाल में न्यायालय भी क्यों है जनता के निशाने पर?
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | शुक्रवार,सितम्बर 12,2025
कार्यपालिका और व्यवस्थापिका भ्रष्ट और गुमराह हो सकती है लेकिन न्यायपालिका कभी नहीं। संविधानिक और लोकतांत्रिक देशों ...
Nepal Gen-Z Protest : नेपाल के युवा लोकतंत्र से हताश क्यों हो गए?
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | मंगलवार,सितम्बर 9,2025
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के विरोध में खड़े हुए युवाओं के आंदोलन में राजनीतिक दलों को दूर रहने की सलाह दी गई थी। किसी ...
चीन की वुल्फ वॉरियर रणनीति के आगे झुक गए ट्रम्प
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | शनिवार,अगस्त 30,2025
कूटनीति मूल्यों और आदर्शों के इतर व्यवहारिक हो सकती है,लेकिन वह परंपरागत चुनौतियों की अनदेखी कर आगे नहीं बढ़ सकती। ...
ट्रंप-पुतिन मुलाकात का भारत पर क्या होगा असर?
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | शनिवार,अगस्त 16,2025
रेड कारपेट बिछाकर तालियों के साथ अभिनन्दन,रूस की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता न करने की मंशा,यूरोप को समस्या न बढ़ाने की ...
ईरान की सैन्य क्षमता से अब दुनिया में दहशत
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | मंगलवार,जून 24,2025
Iran Israel War: ईरान-इजराइल संघर्षविराम होने से मध्यपूर्व में फिलहाल शांति कायम होने की उम्मीदें भले ही बढ़ गई है लेकिन ...
पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | मंगलवार,जून 3,2025
बलूचिस्तान की एक खातून कराची में एक बेनाम कब्र के सामने बैठकर रो रही है,उसे लगता है की उसके गुमशुदा भाई को पाकिस्तानी ...
भारत से जंग और पाकिस्तान के विभाजन का संकेत है फील्ड मार्शल आसिम मुनीर
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | बुधवार,मई 21,2025
साढ़े छह दशक बाद पाकिस्तान के इतिहास ने एक बार फिर करवट ली है। पहले फील्ड मार्शल अयूब खान के बाद अब दूसरी बार आसिम मुनीर ...
मजदूर दिवस:माओवादियों के मजदूरों की आज़ादी अब दूर नहीं.....
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने | गुरुवार,मई 1,2025
ऊंचे नीचे पहाड़,घने जंगल,घाटियां और संकरी पगडंडियां। माओवादियों के लिए ऐसे दुर्गम क्षेत्र ही सुरक्षित माने जाते है। ऐसे ...

