शुक्र शुभ ग्रह होकर भोग और विलास का कारक ग्रह है और बिगड़ा हुआ शुक्र जातक का जीवन ही व्यर्थ सिद्ध करता है, क्योंकि मनुष्य का जन्म ही कर्मों के फल भोगने हेतु होता है। अत: अगर आप भी शुक्र के अशुभ फल से परेशान हैं तो आजमाएं शुक्र ग्रह की शांति के 4 सटीक उपाय-
पढ़ें 4 उपाय-
(1) स्नानादि :- जायफल, मैनसिल, पीपरामूल, केसर, इलायची, मूली बीज, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि में जो सामग्री उपलब्ध हो उनके मिश्रित जल से स्नान करने से शुक्र से उत्पन्न अरिष्ट शांत होते हैं।
(2) पूजा-पाठ :- शुक्र का मंच, दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ, शतचंडी का पाठ, शुक्र स्तोत्र या कवच का पाठ, आचार्य शंकर कृत सौंदर्य लहरी के श्लोक का पाठ, इंद्राक्षी कवच, अन्नपूर्णा स्तोत्र, विवाह बाधा उत्पन्न होने पर कन्याओं को कामदेव मंत्र और पुरुषों को मोहिनी कवच का पाठ उत्तम फल प्रदान करता है। साथ ही श्रीसूक्त, लक्ष्मी कवच आदि का पाठ करते रहना चाहिए।
(3) रत्नादि :- शुक्र के अनिष्ट नाश और सुख प्राप्ति के लिए हीरा धारण किया जाता है। जरिकन युक्त शुक्र यंत्र धारण करने से पत्नी सुख, व्यापार और धन में वृद्धि होती है। कम से कम एक रत्ती हीरे को सात रत्ती सोने की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। सोने के अभाव में हीरे को विचित्र रंग के वस्त्र में बांधकर गले या भुजा में धारण करना चाहिए। हीरे के अभाव में उसके उपरत्न संग कांसला, संग दुतला, संग कुरंज या संग तुरमुली को भी धारण किया जा सकता है। इनके अलावा चांदी अथवा सिंहपुच्छी नामक पौधे की जड़ को भी धारण करने से लाभ होता है।
(4) अन्य उपाय : - सौभाग्यवती स्त्रियों को मिष्ठान्न भोजन, श्वेत रेशमी वस्त्र, चांदी के आभूषण आदि का दान करना। स्वर्ण या चांदी का दान। सफेद गुलाब के फूलों को जल में डालना, उड़द एवं घी का सेवन करना, सामान्यजन की सेवा करना, घी, दही, कपूर, अदरक आदि का दान या जल में प्रवाहित करना, गाय-बछड़े या भैंस का दान करना या गाय की भूसी या चारा दान करना, पत्नी का कहना मानना (स्त्रियों को प्रसन्न रखना), शरीर पर सुगंधित पदार्थ लगाना, फटी हुई पोशाक न पहनना और न किसी को पहनने देना (जली हुई भी नहीं) आदि सामान्य उपायों से शुक्र से उत्पन्न अनिष्ट शांत होते हैं।