आखिर तीन बार क्यों कहते हैं शांति, शांति, शांति...
माधवी श्री
हिन्दू धर्म में किसी भी पवित्र मंत्रोच्चार के बाद, ऊं शांति शब्द को तीन बार दोहराया जाता है। शांति का आवाहन करने के लिए हम प्रार्थना करते हैं। प्रार्थना से शोक और दुःख समाप्त होते हैं। ऐसी सब प्रार्थनाएं तीन बार शांति कह कर समाप्त की जाती है। लेकिन आखिर तीन बार ही क्यों...
हिन्दू धर्म की प्रत्येक मान्यता एवं परपंरा के पीछे कोई कारण छुपा होता है, और इसका भी एक कारण है कि मंत्रोच्चार के बाद शांति शब्द को तीन बार क्यों दोहराया जाता है। इसके पीछे सबसे बड़ा और गहन कारण है, त्रिवरम सत्यमं।
ऐसी मान्यता है कि "त्रिवरम सत्यमं " अर्थात तीन बार कहने से कोई बात सत्य हो जाती हैं। शायद यही कारण है कि हम अपनी बात पर बल देने के लिए भी उसे तीन बार दोहराते हैं।
हमारी सभी बाधाएं, समस्याएं और व्यथाएं तीन स्त्रोतों से उत्पन्न होती है :-
1) आधिदैविक - उन अदृश्य , दैवी शक्तिओ के कारण जिन पर हमारा बहुत कम और बिल्कुल नियंत्रण नहीं होता। जैसे भूकंप , बाढ़ , ज्वालामुखी इत्यादि।
2 ) आधिभौतिक - हमारे आस - पास के कुछ ज्ञात कारणों से जैसे दुर्घटना , मानवीय संपर्क , प्रदूषण , अपराध इत्यादि।
3) आध्यात्मिक - हमारी शारीरिक और मानसिक समस्याएं जैसे रोग , क्रोध , निराशा इत्यादि।
जब हम मंत्रोच्चार कर किसी शब्द को तीन बार बोलते हैं, तो हम ईश्वर से सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं कि कम से कम किसी विशेष कार्य के उत्तरदायित्व निभाते वक़्त या हमारे रोजमर्रा के काम काज में यह तीन तरीके की बाधाएं उत्पन्न न हो। अतः तीन बार शांति का उच्चारण किया जाता हैं। पहली बार उच्च स्वर में दैवीय शक्ति को संबोधित किया जाता है। दूसरी बार कुछ धीमे स्वर में अपने आस-पास के वातावरण और व्यक्तियों को संबोधित किया जाता है और तीसरी बार बिलकुल धीमे स्वर में अपने आपको संबोधित किया जाता है।
पुस्तक - भारतीय संस्कृति में - हम ऐसा क्यों करते है
लेखिका - स्वामिनी विमलानंदा और राधिका कृष्णा कुमार
प्रकाशक - सेंट्रल चिन्मया मिशन ट्रस्ट