• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. Shiv Tripund shiv Tilak
Written By

शिव के त्रिपुंड की तीन रेखाओं में समाए हैं यह नौ देवता

शिव के त्रिपुंड की तीन रेखाओं में समाए हैं यह नौ देवता - Shiv Tripund shiv Tilak
चमत्कारिक शिव तिलक समाए हैं नौ देवता
त्रिपुंड की रेखाएं और उनके देवता
 
त्रिपुंड की तीन रेखाएं हैं, भृकुटी के अंत में मस्तक पर मध्यमा आदि तीन अंगुलियों से भक्ति पूर्वक भस्म का त्रिपुंड लगाने से भक्ति मुक्ति मिलती है। इसे शिव तिलक भी कहते हैं। यह शरीर की तीन नाड़ियों इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। इसे लगाने से आ सिर्फ आत्मा को परम शांति मिलती है बल्कि सेहत की दृष्टि से भी चमत्कारिक लाभ देती है। 
 
तीन रेखाओं के क्रमशः नौ देवता हैं। 
 
वे सब अंगों में हैं इसलिए सब अंगों में भस्म स्नान का वर्णन है। 
 
प्रथम रेखा के देवता महादेव हैं। 
 
वे 'अ' कार, गार्हपत्य अग्नि-भू रजोगुण, ऋग्वेद, क्रियाशक्ति, पृथ्वी, धर्म, प्रातः सवन हैं। 
 
दूसरी रेखा के देवता महेश्वर हैं जो 'उ' कार दक्षिणाग्नि आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद माध्यन्दिन सवन इच्छाशक्ति, अन्तरात्मा हैं। 
 
तीसरी रेखा के देवता शिव हैं वे 'म' कार आह्वानीय अग्नि परात्मारूप तमोगुण स्वर्गरूप, ज्ञानशक्ति, सामवेद और तृतीय सावन हैं। 
 
इन तीन देवताओं को नमस्कार करके शुद्ध होकर त्रिपुण्ड धारण करने से सब देवता प्रसन्न होते हैं। 
 
भक्त भोग मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। 
 
भिन्न-भिन्न अंगों में भिन्न-भिन्न देवताओं के मंत्रों से भस्म लगाने का विधान है। 
 
अन्य मंत्र नहीं आए तो केवल 'नमः शिवाय' मंत्र बोलकर मस्तक में और सब अंगों में भस्म धारण कर लें।

ये भी पढ़ें
देवउठनी एकादशी पर मां तुलसी का महत्व पढ़कर श्रद्धा से भर उठेंगे आप