22 अक्टूबर को शिव प्रदोष : जीवन में सुख-शांति चाहिए तो अवश्य करें प्रदोष व्रत
* प्रदोष व्रत करता है समस्त मनोकामनाएं पूर्ण
22 अक्टूबर 2018, सोमवार को शिव प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोम प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है अर्थात् शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। यह व्रत करने से मानसिक बैचेनी खत्म होती है। संतान प्राप्ति के लिए अक्सर लोग यह व्रत रखते हैं। यह व्रत रखने से इच्छा अनुसार सभी फलों की प्राप्ति होती है।
जिसका चंद्र खराब असर दे रहा है उनको तो यह प्रदोष व्रत जरूर नियमपूर्वक रखना चाहिए जिससे जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।
प्रदोष को 'प्रदोष' कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। जिसका संक्षेप यह है कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया, अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
ज्ञात हो कि प्रत्येक माह जैसी दो ग्यारस (एकदशी) होती है उसी तरह दो प्रदोष भी होते हैं। त्रयोदशी तिथि (तेरस) को प्रदोष कहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और यह मंदाग्नि को शांत रखता है। पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति ग्यारह (11) अथवा एक वर्ष के अंर्तगत आने वाली समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं तथा शीघ्रता से सर्वकार्य पूर्ण होते है।
- राजश्री कासलीवाल