कोई व्यक्ति अपने जीवन में कितना धनी हो पाएगा, यह उसकी कुंडली में लिखा होता है। आइए जानते हैं कुंडली में धन-योग को कैसे पहचानें?
धन योग
पेश है जन्म कुंडली के कुछ प्रमुख धन योग। इनमें से किसी एक योग के होने पर भी व्यक्ति को धन की प्राप्ति अवश्य होती है।
* जब कुंडली के दूसरे भाव में शुभ ग्रह बैठा हो तो जातक के पास अपार पैसा रहता है।
* जन्म कुंडली के दूसरे भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी भरपूर धन के योग बनते हैं।
* चूंकि दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश को धनेश माना जाता है अत: उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब भी व्यक्ति को धन की कमी नहीं रहती।
* दूसरे भाव का स्वामी यानी द्वितीयेश के साथ कोई शुभ ग्रह बैठा हो तब भी व्यक्ति के पास खूब पैसा रहता है।
* जब बृहस्पति यानी गुरु कुंडली के केंद्र में स्थित हो।
* बुध पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो। (5,7,9)
* बृहस्पति लाभ भाव (ग्यारहवें भाव) में स्थित हो।
* द्वितीयेश उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।
* लग्नेश लग्न स्थान का स्वामी जहां बैठा हो, उससे दूसरे भाव का स्वामी उच्च राशि का होकर केंद्र में बैठा हो।
* धनेश व लाभेश उच्च राशिगत हों।
* चंद्रमा व बृहस्पति की किसी शुभ भाव में युति हो।
* बृहस्पति धनेश होकर मंगल के साथ हो।
* चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ केंद्र में हों।
* चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ त्रिकोण में हों।
* चंद्र व मंगल दोनों एकसाथ लाभ भाव में हों।
* लग्न से तीसरे, छठे, दसवें व ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह बैठे हों।
* सप्तमेश दशम भाव में अपनी उच्च राशि में हो।
* सप्तमेश दशम भाव में हो तथा दशमेश अपनी उच्च राशि में नवमेश के साथ हो।