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Last Modified: शनिवार, 30 दिसंबर 2023 (12:22 IST)

Happy new year 2024 : भारत में एक वर्ष में कितने नववर्ष मनाए जाते हैं?

Happy new year 2024 : भारत में एक वर्ष में कितने नववर्ष मनाए जाते हैं? - How many New Years are celebrated in a year
Happy new year 2024: हमारे देश में कई धर्मों के लोग रहते हैं। हर धर्म के लोगों के अपने अपने कैलेंडर है। हालांकि देश में अधिकतर जगहों पर अंग्रेजी यानी रोमन कैलेंडर को फॉलो किया जाता है। इसके अनुसार नया वर्ष 2024 प्रारंभ होने वाला है। इसी कैलेंडर को ईसाई कैलेंडर भी कहते हैं। दुनिया में सबसे अधिक देशों में ईसाई नव वर्ष मनाए जाने की परंपरा है।
 
विक्रम संवत, गुड़ी पड़वा : हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ हिन्दी पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इसी दिन से वासंतेय नवरात्र का भी प्रारंभ होता है। हिन्दू नववर्ष का पंचांग विक्रम संवत्‌ से माना जाता है। एक साल में 12 महीने और 7 दिन का सप्ताह विक्रम संवत से ही प्रारंभ हुआ है। वर्तमान में विक्रम संवत 2080-81 चल रहा है। महाराष्ट्रीयन परिवारों में चैत्र माह की प्रतिपदा को ही नववर्ष की शुरुआत होना माना जाता है। विक्रम संवत की शुरुआत 58 ईस्वी पूर्व हुई थी।
 
शक संवत : ऐसा माना जाता है कि इसे शक सम्राट कनिष्क ने 78 ई. में शुरू किया था। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करते हुए इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में घोषित कर दिया। राष्ट्रीय संवत का नववर्ष 22 मार्च से शुरू होता है जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है। यह संवत सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से शुरू होता है।
 
बौद्ध संवत : बौद्ध धर्म के कुछ अनुयाई बुद्ध पूर्णिमा के दिन नया साल मनाते हैं। कुछ 21 मई को नया वर्ष मानते हैं। थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, कंबोडिया और लाओ के लोग 7 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं। 
 
हिजरी सन्‌ : मुस्लिम समुदाय में नया वर्ष मोहर्रम की पहली तारीख से मनाया जाता है। मुस्लिम पंचांग की गणना चांद के अनुसार होती है। हिजरी सन्‌ के नाम से जाना जाने वाला मुस्लिम नववर्ष अभी-अभी शुरू हुआ है। इस समय 1445-46 हिजरी सन्‌ चल रहा है। इसकी शुरुआत 622 ईस्वी में हुई थी। हजरत मोहम्मद ने जब मक्का से निकलकर मदीना में बस गए तो इसे हिजरत कहा गया। इसी से हिज्र बना और जिस दिन वो मक्का से मदीना आए उस दिन हिजरी कैलेंडर शुरू हुआ। हिजरी कैलेंडर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं। 
 
ईसाई नववर्ष : 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई थी। इसके कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन कैलेंडर है। जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया। तब से 1 जनवरी को नववर्ष मनाते हैं। ईसाइयों का एक अन्य पंथ ईस्टर्न आर्थोडाक्स चर्च तथा इसके अनुयायी ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता न देकर पारंपरिक रोमन कैलेंडर को ही मानते हैं। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है, जिसे अधिवर्ष या लीप ईयर कहते हैं। भारत में ईस्वी संवत का प्रचलन अग्रेंजी शासकों ने 1752 में किया था।
 
मलयाली कैलेंडर : मलयाली समाज में नया वर्ष ओणम से मनाया जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। ओणम मलयाली माह छिंगम यानी अगस्त और सितंबर के मध्य मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राजा बली अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। राजा बली के स्वागत के लिए घरों में फूलों की रंगोली सजाई जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। इस बार वर्ष 2024 में 15 सितंबर रविवार को प्रारंभ होगा।
तमिल नववर्ष : तमिल नववर्ष पोंगल से प्रारंभ होता है। यानी मकर संक्रांति के दिन से नववर्ष प्रारंभ होता है। पोंगल से ही तमिल माह की पहली तारीख मानी गई है। पोंगल प्रतिवर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाने वाला बड़ा त्योहार है। पोंगल में सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है उसे पोंगल कहते हैं। चार दिनों का यह त्योहार भी नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है।
 
नववर्ष बैसाखी : गीत-संगीत की अनोखी परंपरा और खुशदिल लोगों से सजी है पंजाबियों की संस्कृति। पंजाबी समुदाय अपना नववर्ष बैसाखी में मनाते हैं। यह त्योहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। बैसाखी के अवसर पर नए कपड़े पहने जाने के साथ ही भांगड़ा और गिद्दा करके खुशियां मनाई जाती हैं। बैसाखी प्रतिवर्ष चैत्र प्रतिपदा के आसपास ही आता है। इस बार 13 अप्रैल 2024 से प्रारंभ होगा। सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) से नए साल की शुरुआत होती है। 
 
नवरोज का प्रारंभ : पारसियों द्वारा मनाए जाने वाले नववर्ष नवरोज का प्रारंभ तीन हजार साल पहले हुआ। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन फारस के राजा जमजेद ने सिंहासन ग्रहण किया था। उसी दिन से इसे नवरोज कहा जाने लगा। राजा जमशेद ने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। नवरोज को जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है। 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी। 24 मार्च 2024 से यह नववर्ष प्रारंभ होगा। 
 
जैन नववर्ष : जैन समुदाय का नया साल दीपावली के दिन से माना जाता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहा जाता है। वर्तमान में 2550-51 वीर निर्वाण संवत चल रहा है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है। इसीलिए इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं। लगभग 527 ईसा पूर्व महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
 
परीवा से नया साल : सभी समुदायों की तरह गुजराती बंधुओं का नववर्ष भी दीपावली के दूसरे दिन पड़ने वाली परीवा के दिन खुशी के साथ मनाया जाता है। गुजराती पंचांग भी विक्रम संवत पर आधारित है। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दी जाती हैं।
 
बंगाली समुदाय का नया वर्ष : अपनी विशेष संस्कृति से जाने-पहचाने जाने वाले बंग समुदाय का नया वर्ष बैसाख की पहली तिथि को मनाया जाता है। बंगाली पंचांग के अनुसार, इस समय सन्‌ 1430-31 चल रहा है। यह पर्व नई फसल की कटाई और नया बही-खाता प्रारंभ करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक ओर व्यापारी लोग जहां नया बही-खाता बंगाली में कहें तो हाल-खाता करते हैं तो दूसरी तरफ अन्य लोग नई फसल के आने की खुशियां मनाते हैं। इस दिन कई सांस्कृतिक आयोजन होते हैं और मिठाइयां बांटी जाती हैं।  
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