हिन्दू धर्म के अनुसार गौ सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। गाय को पालने से घर में शांति मिलती है तथा भगवान श्री कृष्ण व लक्ष्मी माता का सीधे आशीर्वाद मिलता है। गौ प्राय: मेघ या उषा की रश्मियों का पश्वाकृति में देव रूप है। इडा और अदिति को भी गो के रूप में संबोधित किया गया है।
देवों को प्राय: गौजाता: (गोजात) कहा गया है तथा इसे अवध्य माना है। गाय को संपूर्ण देवताओं से संबंध रखने वाली कहा गया है। आइए जानते हैं गौ माता के बारे में 13 खास बातें :-
1. गाय के प्रत्येक अंग में ईश्वर का वास है।
2. दूध दोहते समय गौ का ठोकर खा जाना, दूध का बिखर जाना आदि अन्य अपशकुन माने गए हैं जिनके लिए प्रायश्चित विधान है।
3. स्वप्न में काले बछड़े से युक्त काली गौ का दक्षिण दिशा में जाना मृत्युसूचक माना गया है।
4. ऐतरेय ब्राह्मण में अग्निहोत्र की गाय का बछड़ा छोड़ने पर या दूध दोहते समय बैठ जाना, दूध दोहते समय गाय का उच्च स्वर में रंभाना भी अपशकुन कहा गया है, जिसका कुप्रभाव यज्ञ में भुखमरी की सूचना माना जाता है।
5. गौ का घर की छत पर आ जाना, उनके स्तनों से रुधिर का टपकना, अद्भुत घटनाएं कही जाती है।
6. गौ द्वारा यज्ञ स्थान का अतिक्रमण करना अशुभ माना गया है।
7. एक गौ का दूसरी गौ का दूध पीना आदि गुह्य सूत्रों में गौ से संबंधित अपशकुन कहे गए हैं, जिनके प्रायश्चित करने के निर्देश किए गए हैं।
8. यज्ञ की गाय का पूर्व की ओर जाना यजमान की प्रसन्नता का सूचक है।
9. उत्तर की ओर जाना यजमान की प्रतिष्ठा का द्योतक तथा पश्चिम की ओर जाना प्रजा तथा पशुओं के लिए शुभ माना गया है। किंतु यज्ञीय-गौ का दक्षिण की ओर जाना मृत्यु की सूचना मानी गई है।
10. स्वप्न में भी काली गौ का दक्षिण की ओर जाना अशुभ है। वास्तव में दक्षिण दिशा में पितरों तथा यम का निवास है, जिसके कारण गौ का इस दिशा में जाना भी अपशकुन कहा गया है।
11. गाय से 16 संस्कार मिलते हैं, जिस घर में गाय नहीं वह घर नहीं है।
12. गाय के एक बार रंभाने मात्र से मंदिर के एक लाख घंटी के ध्वनि तरंग में बराबर की शक्ति है।
13. गाय के गोबर के कंडे में घी डाला जाए तो एक किलोमीटर परिधि में पर्यावरण शुद्ध होता है।