भई प्रगट कुमारी भूमि-विदारी जनहितकारी भयहारी। अतुलित छबि भारी मुनि-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी।। सुन्दर सिंहासन तेहिं पर आसन कोटि हुताशन द्युतिकारी। सिर छत्र बिराजै सखि संग भ्राजै निज-निज कारज करधारी।।