संपूर्ण साल में 24 एकादशी व्रत आते हैं। इन 24 एकादशी को हिन्दू धर्म में बेहद पवित्र और पुण्यदायिनी माना गया है। अधिक मास में दो एकादशी बढ़ने से यह 26 हो जाती है। सामान्यत: 24 एकादशी का महत्व है। प्रस्तुत है एकादशी की आरती। इस आरती में सभी एकादशियों के नाम शामिल है।
देवउठनी एकादशी पर इस विशेष आरती से भगवान इतने प्रसन्न होते हैं कि हर एकादशी का पुण्य दे देते हैं...
एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृ्ष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी का जन्म हुआ।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृ्ष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृ्ष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृ्ष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृ्ष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृ्ष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृ्ष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृ्ष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृ्ष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दु:खनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृ्ष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय "पद्मिनी दु:ख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।