धार्मिक विवाद की जड़ राजनीति होती है या नहीं, यह कहना मुश्किल है। दरअसल, कुछ लोग कहते हैं कि धर्म ही अपने आप में एक राजनीतिक संगठन होता है। हालांकि यह बहस का विषय हो सकता है। हर साल की तरह इस साल 2017 में भी धर्म की राजनीति और राजनीति का धर्म सत्ता के केंद्र में रहा। देश की प्रमुख ऐसी घटना या विवाद जिनका संबंध धर्म से जोड़कर देखा गया।
रोहिंग्या विवाद :
मध्यकाल में बांग्लादेश से म्यांमार के अराकान प्रांत में जाकर बस गए मुस्लिमों को रोहिंग्या मुस्लिम कहते हैं। म्यांमार में करीब 10 लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं। उनमें से लगभग ढाई लाख मुस्लिमों ने जातीय हिंसा के चलते म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश और भारत में शरण ले रखी है। आरोप है कि शरणार्थियों में से बहुतों के संबंध आतंकवादी संगठनों और नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों से हैं।
भारतीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार बौद्ध बहुल देश म्यांमार में जारी हिंसा के बाद से अब तक करीब 40,000 रोहिंग्या मुस्लिम भारत में आकर शरण ले चुके हैं। ये लोग समुद्र, बांग्लादेश और म्यांमार सीमा से लगे चिन इलाके के जरिए भारत में घुसपैठ करते हैं। भारत के गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू के अनुसार इनमें से 16,000 संख्या उन रोहिंग्या मुसलमानों की है, जो संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के तौर पर पंजीकृत हैं।
तीन तलाक विवाद :
22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मुद्दे पर अपना महत्वपूर्ण निर्णय दिया। कोर्ट ने तीन तलाक पर तत्काल रोक लगाई और इसे असंवैधानिक करार देकर कहा कि केंद्र चाहे तो इस पर कानून पारित कर सकता है। तीन तलाक पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीती 15 दिसंबर को 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक' को मंजूरी प्रदान की थी। अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा, जहां बहस के बाद यदि यह पास हो जाता है तो मुस्लिम महिलाओं को अब कानूनन अधिकार मिल जाएगा अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए।
मुस्लिम संगठनों ने इसे संविधान और इस्लाम विरोधी बताया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार यह धर्म में दखल है। हालांकि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का मानना है कि तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार के विधेयक पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य मुस्लिम संगठन टकराव की राह पर हैं जबकि सरकार जो भी कदम उस दिशा में उठा रही है, वह कानूनी पहलू पर टिका हुआ है। कोर्ट में चली लंबी बहस और कुरान की भी रोशनी में तथ्य सामने आने के बाद तीन तलाक के खिलाफ फैसला आया। सरकार कोर्ट के इस फैसले को कानूनी अमलीजामा पहनाना चाहती है।
गौरक्षक विवाद :
वर्षभर गोरक्षा का मुद्दा छाया रहा। एक और जहां गोरक्षकों की हत्या के समाचार मिलते रहे वहीं गोरक्षों द्वारा गोकशी या गो तस्करी के आरोप में युवकों की हत्या के समाचार भी मिलते रहे। हिन्दुओं के लिए गाय एक संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन गाय के मांस को खाने के समर्थन में कई लोगों के ट्वीट ने लोगों को भड़काया है। दिसंबर माह में मथुरा के थाना वृंदावन कोतवाली इलाके में बने पानीगांव स्थित वृंदावन मांट रोड पर देर रात दो कारों में भरकर आए 8 बदमाशों ने गोरक्षा के जिलाध्यक्ष मोनू शर्मा को अपना निशाना बनाया।
गोरक्षकों की हत्या के मामले मीडिया में उतने नहीं छाए रहे जितने कि गो तस्करी या गाय काटने के मामले में मारे गए लोगों के मामले राष्ट्रीय स्तर पर उभरकर आए। उनमें से प्रमुख मामले ये हैं- राजस्थान के अलवर जिले में अप्रैल माह में अपनी गायों को लेकर जा रहे एक डेयरी किसान पहलू खान की हत्या, महाराष्ट्र के वाशिम जिले में स्वयंभू गोरक्षकों ने गोमांस रखने के शक में 3 नौजवानों की जमकर पिटाई की। हालांकि भड़काने के लिए इस वर्ष केरल और कर्नाटक में कुछ लोगों ने गाय का मांस खाते और बांटते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो भी अपलोड किया था, जो कि मीडिया में चर्चा में रहा। वर्षभर कई जगह पर से पुलिस ने टनों से गोमांस को जब्त किया।
जाकिर नाइक विवाद :
इस वर्ष भी विवादित धर्मगुरु जाकिर नाइक भी चर्चा में रहा। हिन्दू धर्म के वैदिक और पौराणिक श्लोकों की गलत व्याख्या करके इस्लामिक सत्यों को स्थापित करने के आरोप झेल रहे जाकिर नाइक पर धर्मांतरण, टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं। आपको बता दें कि नाइक 1 जुलाई 2016 को तब भारत से भाग गया था, जब पड़ोसी देश बांग्लादेश में आतंकवादियों ने दावा किया कि वे जेहाद शुरू करने को लेकर उसके भाषणों से प्रेरित हुए थे। हालांकि इस मामले में भारतीय एजेंसियों को बड़ा झटका देते हुए इंटरपोल ने साल के अंत में नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया है।
दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने के भारत के प्रयासों को झटका देने के बाद चीन ने दूसरी शातिराना यह चाल चली। चीन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को जारी नहीं होने दिया। वर्तमान में इंटरपोल के मुखिया मेंग होंगवेई चीनी नागरिक हैं और वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विश्वासपात्र हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को रुकवाने में मेंग होंगवेई की अहम भूमिका रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जाकिर नाइक इस वक्त मलेशिया में छुपा हुआ है। भारत की एजेंसियों को शक है कि जाकिर नाइक के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस न जारी होने देने में मलेशियाई सरकार का भी रोल है।
फर्जी बाबा विवाद :
*25 अगस्त 2017 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह बाबा को बलात्कार और हत्या के मामले में हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर रोहतक की सुनारिया जेल में डाल दिया। उसकी गिरफ्तारी के दौरान 41 लोगों की मौत हो गई थी और 300 लोग घायल हो गए थे। 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मा राम रहीम 1990 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बना। वो खुद को रॉकस्टार बाबा के रूप में प्रस्तुत करता रहा। कथित रूप में अपनी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत के साथ उसने फिल्म भी बनाई। गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को 2 महिलाओं के साथ बलात्कार करने के मामले में 20 साल के कारावास की सजा दी गई है।
* इस जाते साल के आखिरी माह दिसंबर में एक और फर्जी बाबा का भंडाफोड़ हो गया। इस बाबा का नाम है- बाबा वीरेन्द्रदेव दीक्षित। दिल्ली के रोहिणी एरिया में बने 'आध्यात्मिक विश्वविद्यालय' से सीबीआई टीम ने 41 लड़कियों को छुड़ाया। पीड़िताओं में कई यूपी और छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैं। यह बाबा वीरेन्द्रदेव दीक्षित का आश्रम था। यहां से आजाद हुई एक पीड़िता ने दिल्ली कमीशन फॉर वुमन के सामने बताया कि बाबा खुद को कृष्ण बताता था और उसे अपनी 16,000 रानियों में से एक मानता था। उन्होंने कई बार उसका रेप किया।
धर्मांतरण और घर वापसी विवाद :
भारत के आदिवासी इलाकों में ईसाइयों द्वारा धर्मांतरण किए जाने का अभियान चलता रहता है, खासकर झारखंड, मध्यप्रदेश, बिहार, उड़ीसा और गुजरात में इनकी सक्रियता अधिक है। आए दिन गरीबों और आदिवासियों का धर्मांतरण किए जाने की खबरें आती रहती हैं। संभवत: इसी के चलते झारखंड में इस वर्ष धर्म स्वतंत्र विधेयक लाया गया। इस विधेयक के बाद अब धर्मांतरण पर रोक लगेगी। लेकिन झारखंड के दुमका में धर्मांतरित ईसाइयों ने इसके खिलाफ मौन जुलूस निकाला।
ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण के सबसे ज्यादा मामले झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए। मध्यप्रदेश के झाबुआ, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, सतना, देवास जिले के उदयपुरा, कांटाफोड़ आदि जगहों पर सबसे ज्यादा धर्मांतरण के मामले प्रकाश में आए। उसी तरह झारखंड का दुमका जिला, छत्तीसगढ़ के सभी आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण जारी है। हिन्दू संगठन इसको लेकर समय-समय पर सरकार और स्थानीय प्रशासन को विज्ञप्ति देता रहा है लेकिन उसका कोई खास असर नहीं होता।
इस धर्मांतरण के खिलाफ ही हिन्दू संगठनों के कई स्थानों पर 'घर वापसी' के शिविर भी लगाए जिसके चलते धर्मनिरपेक्ष पार्टियों, ईसाई मिशनरियों और बौद्ध संगठनों ने कड़ा ऐतराज जताया था।
हिन्दू समाज को तोड़ने की साजिश का आरोप :
हिन्दू संगठनों के अनुसार दलित और सवर्ण के नाम पर हिन्दू समाज को तोड़कर राजनीति करने का प्रचलन इस वर्ष ज्यादा बढ़ा है। इसका फायदा भी कुछ पार्टियों को मिला है। दलित, लिंगायत, विश्नोई और वाल्मीकि समाज को जातिगत भेदाभाव के नाम पर भड़काकर हिन्दू धर्म से काटने की साजिश के खिलाफ कई हिन्दू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि 73 फिरकों वाला इस्लाम जहां देवबंदी बरेलवी की मस्जिद में नहीं जा सकता और 146 हिस्सों में बंटे हुए ईसाइयों में भी जब ऊंच-नीच की भावना विद्यमान है, तो उन्हें हिन्दू धर्म के खिलाफ बोलने और काम करने का कोई अधिकार नहीं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि 'हिन्दू समाज में जाति एक सच्चाई' है, जो सदियों की परंपरा का दुष्परिणाम है, लेकिन यह बुराई हर धर्म में होती है।' मोहन भागवत ने एक शिविर में यह बात कही कि संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहेब देवरसजी कहते थे, 'हिन्दू घटा तो देश बंटा।' हम इस बात को कैसे भूल सकते हैं कि जिस देश का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ हो, उस देश में धर्मांतरण जैसी बात नि:संदेह देश के विभाजन के लिए विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर षड्यंत्र करने जैसी है।
लव जिहाद :
कई वर्षों के अनुभव के बाद नवरात्रि में देशभर की कई जगहों पर हुए गरबा पांडाल में गैर-हिन्दुओं के प्रवेश पर रोक सख्ती से लगाई गई। हालांकि इसका धर्मनिरपेक्ष पार्टियों द्वारा घोर विरोध भी किया गया जिसके चलते कई जगह विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हुई। पूर्व में दूसरे धर्म के लोगों द्वारा लड़कियों के शोषण की काफी खबरें आती रही हैं जिसके चलते मध्यप्रदेश और गुजरात के कई गरबा पांडालों ने यह निर्णय लिया।
केरल में लव जिहाद के कई मामले सामने आए जिसमें से एक चर्चित मामला रहा अखिला उर्फ हादिया का जिसके पति शफीन हैं। इस मामले में एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जांच में ऐसे कई लव जिहाद के मामले सामने आए हैं। जो तथ्य मिले हैं और उनसे लड़के की सारी दलीलें खारिज हो रही हैं कि कैसे पूरा सिस्टम काम कर रहा है। लोगों को धर्म परिवर्तन और दिमागी तौर पर सोच बदलने के लिए एक प्रोग्राम चलाया जा रहा है। एनआईए ने शफीन से हादिया से शादी करने और उसका धर्म बदलवाने को लेकर सवाल पूछे थे। हालांकि एनआईए की इस दलील को लड़के के वकील सिब्बल ने खारिज कर दिया।
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) का दावा है कि हादिया का पति शफीन शादी से पहले आतंकी संगठन आईएसआईएस के संपर्क में था। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए की एक जांच में दावा किया गया है कि अखिला अशोकन उर्फ हादिया का पति शफीन जहां शादी से 1 महीने पहले एक क्लोज्ड फेसबुक ग्रुप और एक पॉपुलर मैसेजिंग ऐप के जरिए आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के संपर्क में था।
लव जिहाद के ऐसे कई मामले हैं जिनके चलते हिन्दू समाज में असंतोष बढ़ता जा रहा है। कहते हैं कि इसी का परिणाम था कि राजस्थान के राजसमंद में शंभूलाल रैगर ने बंगाल के अफराजुल नाम के मुस्लिम शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी। हालांकि अभी इस संबंध में जांच जारी है कि हत्या का मकसद क्या था? इस आदमी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
अयोध्या विवाद :
वर्षभर अयोध्या में राम मंदिर भी सत्ता के केंद्र में रहा। राम मंदिर को लेकर दोनों ही पक्षों में वाद-विवाद के बीच विवादित बयानों का सिलसिला भी जारी रहा। एक बात और। इस साल आक्रमणकारी मुगल बादशाह बाबर का कथित वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी भी चर्चा में रहा। उसने भी खुद को एक पक्षकार बनाए जाने की याचिका दायर की थी। इसी कारण उसने असदुद्दीन ओवैसी की ओर से जान से मारने की धमकियां भी मिलने की शिकायत की थी। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण वर्षों बाद पहली बार अयोध्या में भव्य तरीके से दीपावली मनाई गई, क्योंकि इसी दिन भगवान राम अयोध्या लौटे थे। दिसंबर से अब 11 दिवसीय चलने वाले अयोध्या महोत्सव की शुरुआत भी हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर को अयोध्या विवाद पर सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 8 फरवरी 2018 तक टाल दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी जिस पर सुनवाई हुई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने पैरवी की।
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में मांग की कि इस मामले की सुनवाई साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद की जाए। सिब्बल का कहना था कि अभी इसके लिए माहौल सही नहीं है, हालांकि कोर्ट ने उनकी दलील नहीं मानी। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने ही वकील कपिल सिब्बल की उस दलील को गलत करार दिया है जिसमें उन्होंने अयोध्या विवाद की सुनवाई जुलाई 2019 में कराने की मांग की थी।
अन्य धार्मिक विवाद :
* इस साल कॉलिन्स शब्दकोष में एक नया शब्द जुड़ा- फेक न्यूज। हिन्दी में कहें तो फर्जी खबर। भारत में फेक न्यूज एक प्रचलित शब्द है और सोशल मीडिया इसे फैलाने का सबसे सरल माध्यम है। सोशल मीडिया के जरिए किसी धर्म, समाज या देश के बारे में कुप्रचार करना लगातार चलाई जाने वाली प्रक्रिया है, वहीं किसी व्यक्ति के बारे में किसी विशेष परिस्थिति में गलत जानकारियां फैलाई जाती हैं। सबसे ज्यादा झूठी खबरें नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फैलाई गईं, हालांकि राहुल गांधी के खिलाफ भी झूठी खबरें प्रसारित की गईं।
* कुछ शहरों में दरगाह या मूर्ति को क्षति पहुंचाए जाने की अफवाह के चलते तनाव रहा। सोशल मीडिया में एक-दूसरे के धर्म को लेकर नफरतभरी टीका-टिप्पणी के चलते कई लोगों पर आईटी एक्ट की धारा के अंतर्गत मामले दर्ज हुए। इससे समुदाय विशेष की भावनाएं आहत होने पर छुटपुट जगहों पर दंगे, प्रदर्शन और घेराव के समाचार भी देखने को मिले।