न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने सिखों के प्रति सहानुभूति जताई
मेलबर्न। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की ने आज कहा कि उन सिखों के प्रति उनकी सहानुभूति है, जिन्हें जिम्बॉब्वे के खिलाफ भारत का मुकाबला देखने के लिए मैदान में प्रवेश की इजाजत नहीं मिली थी क्योंकि उनके पास कृपाण थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नियम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने तय किए हैं कि न्यूजीलैंड के क्रिकेट आयोजन स्थलों पर क्या लाया जा सकता है और क्या नहीं।
शनिवार को सात सिखों को ईडन पार्क में भारत और जिम्बॉब्वे के बीच होने वाला मुकाबला देने के लिए जाने से रोक दिया गया था, जिसमें संदर्भ में की ने कहा, ‘यह उनका टूर्नामेंट है, हमारा नहीं। इसलिए हम उन्हें नहीं बता सकते कि क्या करना है और क्या नहीं।’
हाल के हफ्तों में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने सिख समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की है और उनकी स्थिति पर सहानुभूति जताई थी। सिख धार्मिक आस्थाओं के कारण किर्पाण को अपने पास रखते हैं लेकिन आईसीसी इसे हथियार मानता है। की ने ‘न्यूजीलैंड हेराल्ड’ से कहा, कृपाण के बारे में मेरी समझ यह है कि यह काफी छोटी और कुंद धार वाली चीज है।’
की ने कहा, ‘और अगर आप यह कहना चाहते हो कि इससे कोई किसी को नुकसान पहुंचा सकता है तो मैदान पर कई और चीजें हैं, जिनसे नुकसान पहुंचाए जाने की संभावना अधिक है जैसे वाइन की बोतल या कुछ और।’
सुप्रीम सिख काउंसिल के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा कि आईसीसी के इस फैसले से सिख समुदाय के लोग नाराज हैं और वे कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं।
की ने साथ ही संकेत दिया कि सरकार मौजूदा नागरिक उड्डयन प्राधिकरण नियमों को बदलाव कर सकती है जिससे कि किर्पाण को विमानों में ले जाया जा सके। फिलहाल न्यूजीलैंड में कृपाण लेकर चलना वैध है लेकिन इसे विमान में नहीं ले जाया जा सकता। (भाषा)