Vastu Tips : यदि किचन यहां पर बना है तो घर में होगा गंभीर असाध्य रोग, तुरंत करें उपाय
Kitchen Vastu Tips Direction And Vastu Dosh : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का किचन सही दिशा में होना चाहिए। अन्यथा यह रोग, शोक और धन की बर्बादी का कारण बन सकता है। खासकर तब जब यह उस दिशा में जो जल की दिशा है। आओ जानते हैं कि किचन की गलत और सही दिशा कौन सी है।
ईशान दिशा : पूर्व और उत्तर के बीच की दिशा में किचन का होना शुभ नहीं माना जाता क्योंकि यह जल की दिशा है और किचन में अग्नि जलती रहती है। यहां यदि किचन है तो कुछ ही सालों के अंदर घर के किसी सदस्य को कोई असाध्य रोग हो सकता है। जैसे कैंसर, अस्थमा, लीवर या किडनी का खराब होना। नैऋत्य दिशा में भी किचन नहीं बनाना चाहिए। रसोई घर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में भूल से भी नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है। साथ ही खान-पान का खर्चा भी कई गुना बढ़ सकता है और अपव्यय की स्थिति बन सकती है। इससे महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अन्न और धन की भी हानि होती है। इससे पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
नैऋत्य कोण : वास्तु के मुताबिक भूलकर भी घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में किचन का होना घर का एक बड़ा वास्तु दोष है। इसे घर की महिला रोगी होगी और अनावश्यक खर्चें बढ़ेंगे। नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में भी किचन या रसोई घर अच्छा नहीं माना जाता है। इससे गृह कलह, परेशानी और दुर्घटना का भय बना रहता है।
वायव्य कोण : इसी प्रकार वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में स्थित किचन/ रसोई घर भी न सिर्फ खर्च बढ़ाने वाला माना जाता है, बल्कि अग्नि दुर्घटना भी दे सकता है। किचन वायव्य कोण में हो और वहां घर की बहुएं काम करती हों तो उनका मन रसोई में नहीं लगेगा और वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती पाई जाएंगी।
आग्नेय कोण : किचन की सही दिशा आग्नेय कोण यानी पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा है। आग्नेय कोण में किचन बना सकते हैं। आग्नेय कोण की दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। शुक्र ही सुख और समृद्धि देने वाला ग्रह है। इसके अलावा पूर्व दिशा में भी बना सकते हैं। पश्चिम और वायव्य दिशा में बनाने के लिए किसी वास्तु शास्त्री से संपर्क करें।
किचन का वास्तु दोष दूर करने के उपाय- Ways to remove Vaastu defects in kitchen:-
1. रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए।
2. यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।
3. यदि आग्नेय कोण में रसोई की व्यवस्था न हो सके तो पूर्व या वायव्य कोण ठीक रहता है, लेकिन इस स्थिति में यह ध्यान रखना जरूरी होगा कि रसोई घर चाहे जहां हो, भोजन आग्नेय कोण में ही बने। इससे बिगड़े काम भी बन सकते हैं।