सभी दिशओं में सबसे उत्तम है ईशान दिशा। ईशान दिशा सबसे शुभ मानी गई है। ईशान में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। यदि आप अपना घर बना रहे हैं या खरीद रहे हैं तो निश्चित ही आपको ईशान दिशा के महत्व को समझना चाहिए।
किसे कहते हैं ईशान दिशा और क्यों?
पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान दिशा कहते हैं। वास्तु अनुसार घर में इस स्थान को ईशान कोण कहते हैं। भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है। चूंकि भगवान शिव का आधिपत्य उत्तर-पूर्व दिशा में होता है इसीलिए इस दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति और केतु माने गए हैं।
क्या होना चाहिए ईशान में?
घर, शहर और शरीर का ईशान हिस्सा सबसे पवित्र होता है इसलिए इसे साफ-स्वच्छ और खाली रखा जाना चाहिए। यहां जल की स्थापना की जाती है जैसे कुआं, बोरिंग, मटका या फिर पीने के पानी का स्थान। इसके अलावा इस स्थान को पूजा का स्थान भी बनाया जा सकता है। घर के मुख्य द्वार का इस दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है।
क्या नहीं होना चाहिए ईशान में?
इस स्थान पर कूड़ा-करकट रखना, स्टोर, टॉयलेट, किचन वगैरह बनाना, लोहे का कोई भारी सामान रखना वर्जित है। इससे धन-संपत्ति का नाश और दुर्भाग्य का निर्माण होता है। ऐसा करने से आब बर्बादी के द्वारा खोल देंगे।
अन्य दिशाओं में क्या होना चाहिए?
पूर्व:- इस दिशा में इस दिशा में दरवाजे पर मंगलकारी तोरण लगाना शुभ होता है। गृहस्वामी की लंबी उम्र व संतान सुख के लिए घर के प्रवेश द्वार व खिड़की का इस दिशा में होना शुभ माना जाता है।
आग्नेय:-पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा को आग्नेय कोण कहते हैं। इस दिशा में किचन स्टैंड, गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
दक्षिण:- दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। इस दिशा की भूमि भी तुलनात्मक रूप से ऊंची होना चाहिए। इस दिशा की भूमि पर भार रखने से गृहस्वामी सुखी, समृद्ध व निरोगी होता है। धन को भी इसी दिशा में रखने पर उसमें बढ़ोतरी होती है।
नैऋत्य:- दक्षिण-पश्चिम के बीच को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिल्कुल ही नहीं होना चाहिए। गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना चाहिए। कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
पश्चिम:- इस दिशा की भूमि का तुलनात्मक रूप से ऊंचा होना आपकी सफलता व कीर्ति के लिए शुभ संकेत है। आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा रख सकते हैं। दोनों एक साथ नहीं हो यह ध्यान रखें।
वायव्य:- उत्तर-पश्चिम के बीच वायव्य दिशा होती है। यदि आपके घर में नौकर है तो उसका कमरा भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
उत्तर:- इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होना चाहिए। घर की बालकनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में यदि वास्तुदोष होने पर धन की हानि व करियर में बाधाएं आती हैं।