कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के दीक्षांत समोराह में बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिरकत करने पहुंचे। प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर ने स्मृति चिह्न भेंट किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर आईआईटी कानपुर के डिजिटल डिग्री ट्रांसमिशन का शुभांरभ किया।
इसके बाद उन्होंने भौतिकी वैज्ञानिक प्रो. रोहिणी एम गोडबोले, इंफोसिस के सह संस्थापक सेनापथी क्रिस गोपालकृष्णन और शास्त्रीय गायक पद्मश्री पंडित अजय चक्रवर्ती को मानद उपाधि प्रदान की। उपाधि देने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन कानपुर के लिए दोहरी खुशी का दिन है। आज एक तरफ कानपुर को मेट्रो जैसी सुविधा मिल रही है। वहीं दूसरी और टेक्नोलॉजी की दुनिया को आईआईटी कानपुर से आप जैसे अनमोल उपहार भी मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज जिन विद्यार्थियों को सम्मान मिला है, उन्हें बहुत-बहुत बधाई। आज आप जहां पहुंचे हैं, आपने जो योग्यता हासिल की है, उसके पीछे आपके माता पिता, आपके परिवार के लोग और आपके अध्यापकों जैसे अनेकों लोग होंगे। कानपुर भारत के उन चुनिंदा शहरों में से है, जो इतना diverse है। सत्ती चौरा घाट से लेकर मदारी पासी तक, नाना साहब से लेकर बटुकेश्वर दत्त तक, इस शहर की सैर करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे हम स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों के गौरव की, उस गौरवशाली अतीत की सैर कर रहे हैं।
अमृत महोत्सव की इस घड़ी में जब आप आईआईटी की लेगसी लेकर निकल रहे हैं तो उन सपनों को भी लेकर निकले कि 2047 में भारत कैसा होगा।आने वाले 25 सालों में भारत की विकास यात्रा की बागडोर आपको ही संभालनी है।ये दौर, ये 21वीं सदी, पूरी तरह Technology Driven है।इस दशक में भी Technology अलग-अलग क्षेत्रों में अपना दबदबा और बढ़ाने वाली है। बिना Technology के जीवन अब एक तरह से अधूरा ही होगा।
उन्होंने कहा कि ये जीवन और Technology की स्पर्धा का युग है और मुझे विश्वास है कि इसमें आप जरूर आगे निकलेंगे। आपने अपनी जवानी के इतने महत्वपूर्ण वर्ष technology का एक्सपर्ट बनने में लगाए हैं। आपके लिए इससे बड़ा अवसर क्या होगा? आपके पास तो भारत के साथ ही पूरे विश्व में technology के क्षेत्र में योगदान करने का बहुत बड़ा अवसर है।
उन्होंने कहा कि पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज सोच कुछ कर गुजरने की, काम करके नतीजे लाने की है। पहले अगर समस्याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए संकल्प लिए जाते हैं। मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही होगी लेकिन मैं चाहता हूं कि आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर बनें। आत्मनिर्भर भारत, पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप ही है, जहां हम किसी पर भी निर्भर नहीं रहेंगे।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था- 'Every nation has a message to deliver, a mission to fulfill, a destiny to reach' यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरे करेगा, अपनी Destiny तक कैसे पहुंचेगा?आप ये कर सकते हैं, मेरा आप पर भरोसा है।
आजादी के इस 75वें साल में हमारे पास 75 से अधिक यूनिकोर्न्स हैं, 50 हजार से अधिक स्टार्टअप्स हैं। इनमें से 10 हजार स्टार्टअप तो केवल पिछले 6 महीनों में आएं हैं। कौन भारतीय नहीं चाहेगा कि भारत की कंपनियां Global बनें, भारत के Product Global बनें। जो IITs को जानता है, यहां के टैलेंट को जानता है, यहां के प्रोफेसर्स की मेहनत को जानता है, वो ये विश्वास करता है ये IIT के नौजवान जरूर करेंगे।