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Last Updated : शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 (12:21 IST)

मायावती ने उठाया सवाल, PFI अगर देश की सुरक्षा के लिए खतरा तो RSS पर प्रतिबंध क्‍यों नहीं?

मायावती ने उठाया सवाल, PFI अगर देश की सुरक्षा के लिए खतरा तो RSS पर प्रतिबंध क्‍यों नहीं? - Mayawati raised questions about ban on PFI
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्‍यक्ष और उत्‍तरप्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाए जाने पर शुक्रवार को तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए इसे राजनीतिक स्‍वार्थ और संघ तुष्‍टिकरण से प्रेरित बताया और आरएसएस (राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ) पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया।
 
बसपा प्रमुख ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि केंद्र द्वारा पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ देशभर में की गई कार्रवाई के बाद अंतत: अब विधानसभा चुनावों से पहले पीएफआई समेत उसके 8 सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। लोग इसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ की तुष्टिकरण की नीति मान रहे हैं और उनमें संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है।
 
मायावती ने अपने सिलसिलवार ट्वीट में कहा कि यही कारण है कि विपक्षी पार्टियां सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी प्रतिबंध क्यों नहीं लगना चाहिए?
 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से संबंध रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आतंकवादरोधी कानून यूएपीए के तहत 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया।
 
राजपत्रित अधिसूचना के अनुसार पीएफआई के 8 सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं। Edited by: Ravindra Gupta (भाषा)
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